पर्यावरण का संबंध भावात्मक, मूल्यपरक और सांस्कृतिक है – प्रो. शर्मा

 

-भारत की पर्यावरणीय दृष्टि और वैश्विक परिदृश्य में उसकी प्रासंगिकता पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

 

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में विश्व पर्यावरण सप्ताह के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसका विषय था भारत की पर्यावरणीय दृष्टि और वैश्विक परिदृश्य में उसकी प्रासंगिकता। इस गोष्ठी में  विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने व्याख्यान में कहा कि पर्यावरण का संबंध केवल भौतिक या बाह्य जीवन से नहीं, अपितु इसका रिश्ता भावात्मक, मूल्यपरक, सांस्कृतिक और आत्मीय है।

उन्होंने कहा कि जल में अमृत है, जल में औषधि गुण विद्यमान रहते हैं। आवश्यकता है जल की शुद्धता, स्वच्छता बनाये रखने की। समग्र पृथ्वी और संपूर्ण परिवेश परिशुद्ध रहे, नदी, वन, उपवन, पर्वत सब स्वच्छ रहें, गांव, नगर सब को विस्तृत और उत्तम परिसर प्राप्त हो तभी जीवन का सम्यक विकास हो सकेगा। प्राचीन ऋषियों ने पृथ्वी का आधार ही जल और जंगल को माना है, इन्हें संरक्षित किए बिना हमारा अस्तित्व शून्य हो जाएगा।

 

अध्यक्षीय भाषण में संस्थाध्यक्ष एवं पूर्व संयुक्त संचालक शिक्षा ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति का नाम ही अरण्य संस्कृति है। शिक्षा के माध्यम से बच्चों को प्रारम्भ से ही पर्यावरण के बारे में जानकारी प्रदान करना चाहिए।

 

विशिष्ट अतिथि डॉ रश्मि गाजियाबाद, कार्यकारी अध्यक्ष महिला इकाई, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि पर्यावरण बचाने के लिए कूड़े कचरे का उचित प्रबंधन और पेड़ पौधे लगाना परम आवश्यक है। विशेष अतिथि डॉ अनीता तिवारी ने कहा कि प्रदूषण और अस्वच्छता को हटाना है, पर्यावरण को बचाना है।

 

विशिष्ट वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन ने कहा, वृक्ष उगाएँ और घर-घर में हरियाली लाएं। विशिष्ट अतिथि डॉ दक्षा जोशी ने कहा कि  विलुप्त प्राणियों को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना आवश्यक है। विशेष अतिथि पदमचंद गांधी ने कहा, हमारे स्वयं के कर्मों के कारण ही आज पर्यावरण प्रदूषण की समस्या हुई है। डॉ.जया सिंह ने कहा कि हमें हमारी आने वाली पीढ़ी को अच्छी प्रकृति देकर जाना चाहिए।

 

कार्यक्रम का संचालन श्रीमती श्वेता मिश्रा राष्ट्रीय सचिव, पुणे महाराष्ट्र ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत श्रीमती संध्या सिंह पुणे की सरस्वती वंदना से हुई। स्वागत भाषण डॉ अरुणा सराफ इंदौर ने दिया। प्रस्तावना श्रीमती सुधा, चंडीगढ़ ने प्रस्तुत की आभार डॉ अनीता भाटी प्रदेश अध्यक्ष महिला इकाई इन्दौर ने व्यक्त किया।