दैनिक अवंतिका उज्जैन। गुजरात के राजकोट में स्थित गेम जोन में बड़ी आग लगने की घटना के बाद से शहरभर के बड़े मॉल व होटलों में इन दिनों प्रशासन आग की घटना से निपटने के इंतजाम देखने पहुंच रहा है। कई जगह कमियां मिल रही है। पता चला है कि लाखों श्रद्धालुओं का केंद्र बिंदू ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में फायर एनओसी नहीं है। हालांकि यहां आग से निपटने के लिए मंदिर प्रबंध समिति ने इंतजाम कर रखे हैं लेकिन अभी इन्हें और हाइटेक होने की जरूरत है।  

प्रशासन मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में बनी बड़ी होटलों में भी फायर सेफ्टी की जांच कर रहा है। क्योंकि गर्मी के दिनों में ही सबसे अधिक आग लगने की घटनाएं होती है। उज्जैन में भी देशभर से आने वाले श्रद्धालु की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन यह मुहिम चला रहा है। महाकाल मंदिर के आसपास के 200 से ज्यादा लॉज-होटल में फायर सेफ्टी नहीं है। न तो फायर ऑडिट हुआ, न फायर एनओसी ली गई है। जानकारी मिली है कि महाकाल मंदिर में भी फायर सेफ्टी यानी आग लगने की स्थिति में निपटने के इंतजाम तो हैं, लेकिन मंदिर समिति ने नगर निगम से इसका एनओसी सर्टिफिकेट अब तक नहीं लिया है। मंदिर प्रबंध समिति के वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात खुद स्वीकार की है। हालांकि अधिकारी ने यह भी कहा कि वे जल्द इस संबंध में कार्रवाई पूरी कर लेंगे।  

महाकाल मंदिर में होली पर लगी 

आग में 14 झुलसे थे, एक की मौत 

आपको बता दे कि महाकाल मंदिर में होली पर्व के दौरान 25 मार्च को आग लगने की घटना हुई थी तो आग बुझाने के सारे इंतजाम धरे रह गए थे। किसी को कुछ समझ नहीं आया और गर्भगृह में 14 लोग झुलस गए थे। इसमें एक बुजुर्ग 80 साल के सेवादार सत्यनारायण सोनी की मौत हो चुकी है। समिति को इससे सबक लेकर आग बुझाने के इंतजामों को और अधिक पुख्ता करने होंगे तथा उन्हें हाइटेक बनाने की जरूरत है। राजकोट में 25 मई को हुई आग लगने की घटना में 30 लोग जिंदा जलकर मर गए थे।  

50 से ज्यादा बेड होने पर एनओसी 

जरूरी, इससे कम पर ऑडिट  

उल्लेखनीय है कि फायर सेफ्टी नियमों के तहत होटल में 50 से ज्यादा बेड होने पर फायर एनओसी और इससे कम वाले होटल को फायर ऑडिट करवाना जरूरी है। इस आधार पर ही बिल्डिंग को सुरक्षित माना जाता है।