महाकाल मंदिर में बारिश के लिए 4 मई  से शुरू होगा सोमयज्ञ, तैयारियां चल रही

– मंदिर परिसर में विशाल यज्ञशाला व यज्ञकुंड बनकर तैयार हुए 
– महाराष्ट्र से आए विद्वान संपन्न कराएंगे पूरा यज्ञ अनुष्ठान  
दैनिक अवंतिका उज्जैन। 
महाकाल मंदिर में उत्तम जलवृष्टि एवं जनकल्याण की भावना से इस बार सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयज्ञ का आयोजन 4 मई से किया जा रहा है। मंदिर परिसर में इसकी तैयारियां चल रही है। यज्ञ के लिए विशाल यज्ञशाला एवं यज्ञकुंड तैयार कर लिए गए है। 9 मई तक यह अनुष्ठान चलेगा। 
यह आयोजन स्वयं मंदिर प्रबंध समिति ही कर रही है। इसका खर्च भी समिति ही उठाएगी। हमेशा समिति बारिश की कामना से मंदिर में पर्जन्य आदि अनुष्ठान करती है। लेकिन इस बार विशेष रूप से सोमयज्ञ किया जा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि इस तरह का यज्ञ क्रमशः देश के लगभग सभी ज्योतिर्लिंगों में किए जाएंगे। उज्जैन में होने वाला सोमयज्ञ महाराष्ट्र सोलापुर कासारवाडी तालुका बर्शी के मुर्धन्य विद्वान पं. चैतन्य नारायण काले के मार्गदर्शन में होगा। पं. काले ने बताया सोमयज्ञ में चारों वेदों के श्रौत विद्वानों के चार-चार के समूह में सोलह ऋत्विक ब्राहम्ण शामिल होंगे। कुल 16 ऋत्विक के साथ एक अग्निहोत्री दीक्षित दम्पत्ति यजमान के रूप में समाज के प्रतिनिधि स्वरूप सम्मिलित होते रहेंगे।
यज्ञ के लिए बनाए अलग-अलग 
मंडप, सभी के नाम भी रखे गए
महाराष्ट्र से आए विद्वावानों के मार्गदर्शन में यज्ञ विहार में अलग-अलग मण्डप बनाए गए है। जिनके नाम क्रमशः प्राग्वंश, हविर्धान, आग्निध्रीय, सदोमंडपम्, प्रधान यज्ञवेदी उत्तरवेदी, चारों दिशाओं में पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर द्वार के साथ विभिन्न कुण्डों का ईटों, पीली मिट्टी व गाय के गोबर से निर्माण किया है। जिसमें गारहपथ्य, अंतराल, वेदी, दक्षिणाग्नि, आहवनीय, सप्तहोत्र, धीष्णीय, मार्जलीय, गृहसाधन, चात्वाल, शामित्र, उत्कर, अग्नीध्र मण्डप और अग्नीधीषणीय अग्नि का मुख्य स्थान आदि बनाए गए है।   
हवि के रूप में सोमवल्ली 
सोमरस का उपयोग करेंगे
5 हजार वर्ष प्राचीन पद्धति से होने वाले इस सोमयज्ञ में महत्वपूर्ण सामग्री के रूप में उपयोग होने वाली वनस्पति सोमवल्ली जिसका रस निकाल कर हवि के रूप में प्रयोग होता है। सोमवल्ली का चन्द्र कला के प्रभाव में घटना बढना निर्धारित होता है। धरा पर यह सोमवल्ली देवलोक दिव्यलोक से आने के बात वेदों ने कही है। इसी वनस्पति सोमवल्ली के नाम पर ही इस याग का नाम सोमयज्ञ है।
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