April 27, 2024

उज्जैन। 30 मार्च को रंगपंचमी का त्योहार उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर दो प्रमुख स्थानों से दोपहर को जहां गेर निकाली जाएगी वहीं शाम को निशान ध्वज चल समारोह की धूम रहेगी। पंचमी पर हमारा धार्मिक शहर रंगीन हो जाएगा…! इसके साथ ही महाकाल से भी  पुजारी और पुरोहित परिवार द्वारा शाम को गेर निकाली जाएगी।

गौरतलब है कि रंगपंचमी के अवसर पर सिंहपुरी और भागसीपुरा जैसे पुराने मोहल्लों से भी दोपहर के समय रंग भरी गेर और शाम को निशान ध्वज चल समारोह के आयोजन होते है। इधर महाकाल मंदिर से भी रंगपंचमी के अवसर पर शाम के समय गेर निकालने की तैयारियां हो गई है। इस बार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता होने के कारण पुलिस प्रशासन की सख्ती दिखाई दे रही है लेकिन बावजूद इसके सवाल यह उठ रहा है कि रंगपंचमी पर क्या हुरियारों की टोली पर रोक लगाई जा सकेगी। शहर में रंगपंचमी का त्योहार मनाने की तैयारियां हो गई है। बाजारों से रंग गुलाल की जहां खरीदी हो रही है वहीं कई स्थानों पर सामूहिक रूप से भी रंगपंचमी खेली जाएगी तो वहीं कड़ाव भी रखे जाएंगे। हालांकि इस बार प्रशासन ने आचार संहिता होने के कारण सख्ती करने का दावा किया है लेकिन यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि हुर्रियारों और मस्तीखोरों की टोली किसी से मानती नहीं है..।   हुरियारों   और मस्तीखोरों की टोली अपनी मस्ती में रहती है…हर किसी को जबरन रंग लगाने की भी आदत हमने देखी है लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रशासन की सख्ती इस बार की रंगपंचमी पर यह सब रोक पाएगी…!  गौरतलब है कि हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, रंग पंचमी मुख्य रूप से पंच तत्व पृथ्वी, अग्नि, वायु, जल एवं आकाश को सक्रिय करने के लिए मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि रंगपंचमी पर यदि पवित्र मन से देवी-देवताओं की आराधना की जाती है तो वे आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं।  पुराणों के अनुसार रंग पंचमी को देवताओं की होली भी कहा जाता है, इसलिए लोग इस दिन आसमान की ओर गुलाल फेंकते हैं और अपने इष्टदेव से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। इस दिन रंगों से नहीं बल्कि गुलाल से होली खेली जाती है। इस दिन हुरियारे गुलाल उड़ाते हैं। मान्यता है इस दिन इस दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आकर आम मनुष्य के साथ गुलाल खेलते हैं। इस दिन श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु को पीला रंग अर्पित करना चाहिए।