April 28, 2024

दैनिक अवंतिका(उज्जैन) खुसूर-फुसूर

नियम कायदे दरकिनार,ये तो होना था… मंदिर में जो चल रहा था उसे लेकर तो यही कहा जा सकता है कि ये तो होना ही था। लंबे समय से मंदिर की गतिविधियों में नियम कायदों को दरकिनार कर दिया गया है। न निर्माण नियमों से हो रहे हैं न अन्य कोई काम । पूर्व में भी यहां कई हादसे ऐसे ही दौर में हुए हैं। नियमों को ताक पर रखकर काम करने के दौरान ही वो हादसे भी हुए हैं। इस हादसे को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि हम नहीं सुधरेंगे। सांप निकल जाने पर लाठी पिटने की हमारी वंशानुगत आदत है। 24 साल पहले भी हादसा हुआ था। 37 श्रद्धालु काल कवलित हो गए थे। जस्टिस गुलाब शर्मा आयोग ने जांच की थी। कई बिंदुओं के तहत अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी। उनमें से कितनी का पालन कर रहे हैं बताओं जरा। इसके बाद निर्माण के लिए किए जा रहे कामों से पोला होकर एक पेड गिरा 3 श्रद्धालू असमय काल कवलित हुए । मामला आया गया हो गया। मंदिर की दान राशि की गणना में सेंध लग गई । तत्कालीन कलेक्टर संकेत भोंडवे ने जांच करवाई , कितने सुझाव का पालन हो रहा है। देश के सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए हलफनामें के विरूद्ध मंदिर के गर्भगृह में काम चल रहा है। सिर्फ आम श्रद्धालु के लिए तमाम नियम हैं। सुरक्षाकर्मी विडियो रील बना रहे हैं मामले को जिम्मेदार दबा रहे हैं। मंदिर समिति बेक डोर रोजगार का साधन बन कर रह गई है। निर्माण निविदा में मंदिर के धन को चुना लगाया जा रहा है। कुछ दिनों पहले कुछ तब्दीली हुई तो लगा था कि कुछ बदलेगा यहां,लेकिन चंद दिनों में वही हाल हो गए । खुसूर- फुसूर है कि मंदिर में नियम कायदों के विरूद्ध चल रहे कामों को लेकर कोई बोलने वाला नहीं है। मिडिया ने जब भी सवाल उठाया तो वास्तविकता जाने बगैर उस पर नकारात्मक और धर्म के खिलाफ बोलने का प्रश्न चिन्ह लगा कर प्रमाण पत्र बांटने में देर नहीं की गई। नैतिकता ताक पर रखकर बाहर से आने वाले  श्रद्धालुओं से व्यवहार हो रहा है। ओघढदानी भोलेनाथ के दरबार में गरीब – अमीर में भेद किया जा रहा है। सुरक्षा को ताक में रखकर व्यवस्था संचालन हो रही है। मंदिर को मंदिर ही रहने दें कतई उसे स्वार्थ साधने का केंद्र न बनने दें। काल बार-बार आगाह कर रहा है अब भी नहीं चेते तो एक समय ऐसा आएगा कि पश्चात के लिए भी समय नहीं रहेगा।