ईमानदारी का तमगा लगाने वाली डिप्टी रजिस्ट्रार ने आखिर केसे की दागदार ओएसडी की नियुक्ति ?

 

पास फेल का खेल करने वाले शिक्षकों पर बड़ी मेहरबानी

इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में 2016-17 में डॉ.नरेंद्र धाकड़ ने अपने ही जैन दिवाकर कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षक विशाल पुरोहित को मूल्यांकन केंद्र में ओएसडी बनाया था। विशाल पुरोहित को बीकॉम की जिम्मेदारी सौंप गई थी। पुरोहित ने मूल्यांकन केंद्र पर लेकर बीकॉम के रिजल्ट में कई तरह की गड़बड़िया की थी।
लालच में आकर उन्होंने ऐसा काम किया था जिसे सरेआम पकड़ा भी गया था। दरअसल विशाल पुरोहित शुरू से ही अपने आप को संघ के कोई बड़े पदाधिकारी का परिचित बताता है, तो वही लगातार राजनीतिक और संघ के संबंधों का फायदा उठाकर पूर्व में भी गलत काम कर चुका है।
उक्त समय विशाल पुरोहित ने बीकॉम का फर्जी रिजल्ट तैयार कर उसे कॉन्फिडेंशियल में तब्दील कर दिया था। वही फेल हुए छात्र को उसमें पास बता दिया गया। जब रिजल्ट कंप्यूटर सेंटर पर बनने गया तो वहां के कर्मचारियों ने इस बड़ी धांधली को पकड़ लिया।
इस पूरे प्रकरण को लेकर विश्वविद्यालय में काफी हाहाकार मचा था, वही तत्कालीन कुलपति नरेंद्र धाकड़ ने इस पूरे मामले को दबाकर स्वत: ही मूल्यांकन सेंटर से इस्तीफा देने की बात के डाली थी।
7 साल बाद फिर वही विशाल पुरोहित को मूल्यांकन केंद्र में लाया गया है। पुरोहित को लाने में संघ के कुछ पदाधिकारी की भूमिका बताई जा रही है। विशाल पुरोहित की फाइल विश्वविद्यालय की डिप्टी रजिस्ट्रार रचना ठाकुर ने साइन की है।
आखिर किसके दबाव में पुरोहित को वापस एंट्री दी गई। रचना ठाकुर हमेशा से ही अपने आप को लेकर ईमानदारी का तमगा लगाती हुई आई है। ऐसे में अब रचना ठाकुर के इस कार्य को लेकर ही बड़े सवाल उठने लगे है। विश्वविद्यालय में फिर एक बार विशाल पुरोहित के चलते पास और फैल का खेल शुरू होगा।
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इस पूरे मामले को लेकर चुप्पी साध ली है।