बगैर मुद्रक एवं प्रकाशक के नाम और पता पेम्पलेट पोस्टर आदि के मुद्रण एवं प्रकाशन पर प्रतिबंध

दैनिक अवन्तिका ब्रह्मास्त्र बुलेटिन …

उज्जैन 17 मार्च। भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन पेम्पलेटों/पोस्टरों आदि का मुद्रण एवं प्रकाशन लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा-127क के उपबंधों द्वारा विनियमित किया गया है। उक्त धारा-127क में निम्न उपबंधित किया है- कोई व्यक्ति किसी ऐसे निर्वाचन पेम्पलेट अथव पोस्टर का मुद्रण या प्रकाशन नहीं करेगा अथवा मुद्रित अथवा प्रकाशित नहीं करवायेगा, जिसके मुखपृष्ठ पर मुद्रक एवं उसके प्रकाशक का नाम व पता न लिखा हो। कोई व्यक्ति किसी निर्वाचन पेम्पलेट अथवा पोस्टर का मुद्रण नहीं करेगा या मुद्रित नहीं करवायेगा, जब तक की प्रकाशक की पहचान की घोषणा उनके द्वारा हस्ताक्षरित तथा दो व्यक्ति जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हों, द्वारा सत्यापित न हो तथा जिसे उनके द्वारा डुप्लीकेट में मुद्रक को न दिया जाये तथा जब तक कि दस्तावेज के मुद्रण के पश्चात उचित समय पर मुद्रक द्वारा दस्तावेज की एक प्रति के साथ घोषणा की एक प्रति न भेजी जाये।कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि जहां मुद्रित हुआ है, उसके मुख्य निर्वाचन अधिकारी को तथा किसी अन्य मामले में जिले के जिला मजिस्ट्रेट को जहां यह मुद्रित हुआ है, हाथ से लिखी गई प्रतियों के अलावा दस्तावेज की प्रतियों की संख्या बढ़ाने के लिये किसी प्रक्रिया को मुद्रण समझा जायेगा तथा वाक्यांश मुद्रक को तदनुसार समझा जायेगा। निर्वाचन पेम्पलेट अथवा पोस्टर से तात्पर्य है अभ्यर्थी अथवा अभ्यर्थी के समूह के निर्वाचन के प्रचार या पूर्वाग्रह के उद्देश्य से वितरित किये गये हैंडबिल अथवा दस्तावेज या कोई इश्तेहार जो निर्वाचन के सन्दर्भ में हो, परन्तु जिसमें केवल निर्वाचन एजेन्टों अथवा कार्यकर्ताओं के लिये निर्वाचन सभा अथवा नेमी अनुदेशों की तिथि, समय, स्थान तथा अन्य विवरण की घोषणा से जुड़े कोई हैंडबिल, विज्ञापन अथवा पोस्टर शामिल न हो।किसी भी उपबंध का उल्लंघन कोई प्रकाशक या मुद्रक करता है तो उसे छह माह तक का कारावास अथवा जुर्माना जिसे दो हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है अथवा दोनों से दण्डनीय होगा। निर्वाचक पेम्पलेटों, पोस्टरों आदि के मुद्रण पर उक्त प्रतिबंध इन दस्तावेजों के प्रकाशकों एवं मुद्रकों की पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से विधि द्वारा अधिरोपित किये गये हैं, ताकि यदि धर्म, वंश, जाति, समुदाय या भाषा या विरोधी के चरित्र हनन इत्यादि के आधार पर अपील जैसे किसी ऐसे दस्तावेज जिसमें कोई ऐसे मामले या सामग्री शामिल हो, जो अवैध अपराधिक या आपत्तिजनक हो तो सम्बन्धित व्यक्तियों के विरूद्ध आवश्यक दण्डात्मक कार्यवाही की जा सकती है। ये प्रतिबंध राजनैतिक दलों, अभ्यर्थियों तथा उनके समर्थकों द्वारा निर्वाचन पेम्पलेटों, पोस्टरों इत्यादि के मुद्रण एवं प्रकाशन पर हुए अनाधिकृत निर्वाचन व्ययों पर रोक लगाने के उद्देश्‍य में भी सहायक होंगे।निर्वाचन आयोग ने सूचित किया है कि निर्वाचन पेम्पलेटों, पोस्टरों इत्यादि के मुद्रण एवं प्रकाशन से जुड़े कानून के उक्त उपबंधों का अनुपालन करने की बजाय उनको भंग करने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। निर्वाचन के समय बड़ी संख्या में ऐसे दस्तावेजों को मुद्रित, प्रकाशित, परिचालित कर निजी तथा सरकारी भवनों की दीवारों पर चिपकाया जाता है, जिनके सम्बन्ध में उक्त वर्णित विधि की अपेक्षाओं का पालन नहीं किया गया है। मुद्रणालय प्रकाशक द्वारा 127क(2) के अधीन अपेक्षित घोषणा सहित मुद्रित दस्तावेजों को मुख्य निर्वाचन अधिकारी या सम्बन्धित जिला मजिस्ट्रेट को बिरले ही भेजते हैं। कई बार उक्त धारा-127क(1) का उल्लंघन करते हुए निर्वाचन पेम्पलेटों, पोस्टरों इत्यादि के मुखपृष्ठ पर मुद्रक तथा प्रकाशक का नाम एवं पता नहीं लिखा होता है।आयोग ने अनुदेश दिये हैं कि किसी भी निर्वाचन पेम्पलेट या पोस्टर तथा प्रकाशक द्वारा मुद्रित ऐसी अन्य सामग्री पर मुद्रक तथा प्रकाशक के नाम व पते का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जायेगा। प्रिंटिंग प्रेस उक्त धारा के अन्तर्गत मतदान सामग्री मुद्रित होने के तीन दिनों के अन्दर मुद्रित प्रतियां भेजेंगे तथा प्रकाशक से घोषणा प्राप्त कर उसे भेजने को कहा जायेगा।