कभी देवी अहिल्या के हाथों में विराजित होते थे ये 12 ज्योतिर्लिंग

 

अब उनकी स्मृति में स्थापित है मल्हार मार्तंड मंदिर में

इंदौर। लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की शिव भक्ति से हर कोई परिचित है। करीबन 250 वर्ष पहले इंदौर के पश्चिम क्षेत्र में प्रजा को सुलभता से 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन हों, इसके लिए राजवाड़ा के अंदर राजवंश के कुलदेवता मल्हारी मार्तंड मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापना की। इसके बाद उन्हीं की स्मृति में उन्हीं के नाम से करीब 225 वर्ष पहले होलकर राजवंश ने उन्हीं की स्मृतियों को संजोने के लिए उन्हीं के नाम से श्रीमातेश्वरी अहिल्या शिव मंदिर का निर्माण किया। इसमें 12 किलो चांदी की कारीगरी और इसकी बल्लियों पर उकेरे गए 12 ज्योतिर्लिंगों की आकृति भक्तों के बीच आस्था केंद्र है। यहां महाशिवरात्रि पर हजारों लोग दर्शन के लिए उमड़ते हैं।

देवी अहिल्या के हाथ में रहते थे ये शिवलिंग

राजवाड़ा स्थित मल्हारी मार्तंड मंदिर में एक साथ 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन होते हैं। आज भी यहां उनके शासन काल में प्रचलित शिव आर्डर की मोहर रखी हुई है। उनके हाथों में दिखने वाला स्वर्ण शिवलिंग भी मंदिर में प्रतिष्ठित है। इसका पूजन प्रतिदिन किया जाता है। उन्होंने देशभर की धार्मिक यात्राएं की। इस दौरान वे 12 ज्योतिर्लिंगों की पिंडियां लाकर यहां स्थापित कीं। यह प्रदेश का एकमात्र मंदिर है जहां उन्हीं के हाथों से स्थापित 12 ज्योतिर्लिंग हैं।
बालू से निर्मित शिवलिंग पर स्वर्ण परत
होलकर परिवार के पं. लीलाधर वारकर गुरुजी के अनुसार देवी अहिल्या ने इंदौर सूबे की बागडोर 1767 से 29 वर्ष तक संभाली। उनके हाथों में विराजित शिवलिंग के दर्शन भी यहां होते हैं। बालू से निर्मित शिवलिंग पर स्वर्ण परत है। उनकी मोहर, भाला, कटार, निशासन स्वर्ण छड़ी भी यहां है। इनका विजयादशमी पर विशेष पूजन होता है। इस मंदिर का दो करोड़ रुपये खर्च कर जीर्णोद्धार खासगी ट्रस्ट द्वारा 11 मार्च 2007 को किया गया था। उनके द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्यों की जानकारी इतिहासकार डा. गणेश मतकर द्वारा यहां दर्शाई गई है।