नर्मदा केपिटल फंड के लिए ही 21 करोड़ की राशि

 

आईडीए को टीपीएस-5 की अनुमति के लिए निगम को 60 करोड़ से अधिक चुकाना पड़ेंगे

इंदौर । इंदौर विकास प्राधिकरण की 375 एकड़ पर विकसित होने वाली स्कीम टीपीएस-5 की विकास अनुमति के लिए नगर निगम को 60 करोड़ रुपए से अधिक चुकाना पड़ रहा है। इसमें नर्मदा केपिटल फंड के 21 करोड़ रुपए और अलग से चुकाना पड़ेंगे।
नगर निगम को पोर्टल ठप होने के चलते ही अभी तक करोड़ों का नुकसान हो चुका है, जिससे उसकी माली हालत दिन पर दिन खस्ता होती जा रही है। हालत यह है कि प्रति माह प्राधिकरण से चेक लेकर वेतन सहित अन्य जरूरी खर्चों की नक पूर्ति करना पड़ रही है।

अभी प्राधिकरण बोर्ड ने टीपीएस-5 में निगम द्वारा मांगी जाने वाली विकास अनुज्ञा शुल्क का एक प्रस्ताव भी बैठक में मंजूरी के लिए रखा, जिसमें सिर्फ आवेदन फॉर्म और प्रोसेस शुल्क के रूप में ही निगम ने 3 करोड़ 59 लाख रुपए की राशि मांगी है।
वहीं आश्रयनिधि का विकल्प लेने पर प्राधिकरण को 38 करोड़ 64 लाख रुपए से अधिक जमा कराना पड़ेंगे और इसकी बजाय अगर वह ईडब्ल्यूएस और एलआईजी का विकल्प चुनता है।
तब भी उसे 6 करोड़ 44 लाख 12 हजार भरना पड़ेंगे। इसके अलावा नर्मदा केपिटल फंड के 21 करोड़ 15 लाख मांगे हैं। वहीं ओवरहेड टैंक का निर्माण भी प्राधिकरण को खुद करना पड़ेगा। वहीं इसके अलावा 2023-24 का सम्पत्ति कर भी जमा कर निगम से एनओसी लेना पड़ेगी।
कनाड़िया बायपास पर प्राधिकरण की यह टीपीएस-5 योजना विकसित होना है, जिसका क्षेत्रफल 149.584 हेक्टेयर यानी लगभग 375 एकड़ का है। प्राधिकरण का कहना है कि लैंड पुलिंग एक्ट के तहत उसे 50 प्रतिशत जमीन तो वापस भू-धारकों को उपलब्ध करानी पड़ेगी।
ऐसी स्थिति में इस आरक्षित जमीन का विकास शुल्क वह निगम को क्यों चुकाएगा। यह राशि तो जमीन मालिक से म ही वसूल की जाना चाहिए। यही स्थिति सम्पत्ति कर के मामले में भी है।