महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय यूजीसी ने एक रूपया अनुदान दिया नहीं उल्टा डिफाल्टर घोषित किया विश्वविद्यालय का पक्ष समय पर भेजी गई सभी जानकारी,हमें डिफाल्टर होने संबंधि कोई जानकारी नहीं दि

दैनिक अवंतिकाउज्जैन। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी ने प्रदेश के एक मात्र उज्जैन के महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के साथ ही प्रदेश के कुल 18 विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित किये जाने की खबर है। इधर सामने आ रहा है कि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय को स्थापत्य काल से लेकर आज तक युजीसी ने एक रूपया अनुदान नहीं दिया है। कुलसचिव का कहना है कि हमने समय सीमा में लोकपाल से संबंधित सभी जानकारी और पत्र भेज दिए थे। डिफाल्‍टर को लेकर हमारे पास कोई सूचना नहीं है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने प्रदेश के18 नामचीन विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित करने की जानकारी सामने आ रही है। इनमें प्रदेश के एक मात्र संस्कृत विश्वविद्यालय को भी शामिल किया गया है। सामने आ रहा है कि  इन विश्वविद्यालयों ने यूजीसी के निर्देशों को तय समय पर पूरा नहीं किया था। मध्य प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों समेत देश के कुल 421 विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित कर दिया है। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को जरूरी निर्देशों को पूरा नहीं करने के कारण यह फैसला लिया है। निर्देशों को लागू न करने पर डिफाल्टर घोषित-सामने आ रहा है कि यूजीसी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति किए जाने के निर्देश और छात्रों की शिकायत के निराकरण के लिए समिति के गठन के निर्देश दिए थे। जिसकी आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2023 थी। विश्वविद्यालयों द्वारा लोकपाल की नियुक्ति के निर्देश में लापरवाही बरती गई। जिसके बाद यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित कर दिया। इधर यह भी सामने आ रहा है कि यूजीसी द्वारा इन विश्वविद्यालयों की अनुदान राशि पर भी कटौती की बात कही गई है। वहीं अगर डिफाल्टर घोषित विश्वविद्यालय जल्दी ही लोकपाल की नियुक्ति नहीं करेंगे तो यूजीसी और भी सख्त कदम उठाएगी। ये हैं 18 विश्वविद्यालय-माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल,अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल,सांची यूनिवर्सिटी ऑफ़ बुद्धिस्ट इंडेक्स स्ट्डीज, भोपाल , राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल,डॉ. बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ़ सोशल साइंस, इंदौर,धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जबलपुर , जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर , मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर,नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुरजीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर,राजा मानसिंह तोमर म्यूजिक एंड आर्ट्स यूनिवर्सिटी, ग्वालियर,महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन,अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्याल, रीवा,महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर,राजा शंकर शाह विश्वविद्याल, छिंदवाड़ा,पंडित एसएन शुक्ल विश्वविद्यालय, शहडोलमहात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट।संस्कृत को धक्का लगने की स्थिति-इधर सामने आ रहा है कि उज्जैन की महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना 2008 में हुई थी। इसके बाद से लेकर आज तक एक रूपया यूजीसी की और से अनुदान नहीं मिला है। असल में स्थापत्य समय से ही यूजीसी को 12 बी के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन का आवेदन होना था जो नहीं किया गया। इस आवेदन के बाद नार्मस पूरे करने पर ही यूजीसी सर्टिफिकेट जारी करता है और उसके बाद अनुदान के लिए आगे की प्रोसेस की जाती है। हालिया नियम में यूजीसी में 12 बी के तहत पंजीयन प्रमाणिकरण से पूर्व नेक लेना जरूरी कर दिया गया है ऐसे में मर्हिषि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय अब तक अनुदान का पात्र ही नहीं बन सका है। इसके चलते केंद्र सरकार के संस्कृत के लिए किए जा रहे प्रयासों को मध्यप्रदेश में धक्का लगना स्वाभाविक सा है। प्रदेश में एक मात्र संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन में ही है। संस्कृत अध्ययन करने वाले छात्रों के हित भी इससे प्रभावित होना स्वाभाविक सा है।-हमें कोई सूचना यूजीसी की और से नहीं आई है।हमने समय सीमा में नवंबर में ही यूजीसी को लोकपाल का पत्र एवं अन्य सभी जानकारी का पत्र अप टू डेट जानकारी के साथ भेज दिया था। कहीं कुछ गलतफहमी की स्थिति है। इसको ध्यान में लेते हुए हमने पून: सभी जानकारी का मेल रिफ्रेंस के साथ मेल कर दिया है। डा.दिलीप सोनी कुलसचिव,मर्हिषि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय,उज्जैन