मवेशियों से फसल बचाने लाखों की लागत से तार फेंसिंग कराने पर मजबूर किसान

सारंगपुर। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा मवेशियों की संख्या दिन ब दिन बढती ही जा रही है, पहले यह सिर्फ खरीफ सीजन की समस्या थी लेकिन अब यह रबी सीजन में भी किसानों के लिए मुश्किल बनी हुई है। जबकि शहर के चौक-चौराहों पर जहां पूरे दिन गायों का जम घट लगा रहता है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में ये मवेशी किसानों के खेतों में लहलहा रही फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मवेशियों से अपनी फसल को बचाने के लिए अधिकतर किसान अब अपने खेतों पर तार फेंसिंग करा रहे हैं जिससे की उनकी फसल मवेशियों से बच सकें। इस काम में किसानों का लाखों रूपया खर्च हो रहा है। खेत मालिकों ने मांग की है को मवेशियों पकडकर जल्द से जल्द गोशालों में भेजा जाए।
उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में बेसहारा मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इन मवेशियों से लोगों परेशान हैं। कई बार प्रशासन से इन मवेशियों को पकडकर गौशालाओं में भेजे जाने की मांग हो चुकी हैं। लेकिन अभी तक किसी भी जिम्मेदारों कि और से इन मवेशियों को पकडने के लिए अभियान शुरू नहीं किया गया है। जबकि इस समय किसानों के खेतों में रबी सीजन की फसलें लगी हुई है इस समय फसलें लहलहा रही हैं। लेकिन इन फसलों को मवेशी लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। मवेशियों से फसलों को बचाने के लिए कई किसानों ने अपने खेतों के आस-पास तार फेंसिंग करना शुरू कर दिया है जिससे की फसलों को मवेशियों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकें।
लाखों रुपए खर्च कर तार फेंसिंग कराने पर मजबूर किसान
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेसहारा मवेशियों की संख्या बढती ही जा रही है। किसानों के खेत में घुसे मवेशियों को भगाने में किसानों को काफी परेशानी होती है। कई किसान तो पूरे दिन अपनी फसलों की रखवाली करते रहते हैं। किसानों का कहना है कि जमीन में गेहूं सहित अन्य फसले लगाई है। इस समय फसले लहलहा रही है लेकिन मवेशियों से फसलों को बचाने में काफी परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि मवेशियों को भगाने में काफी समय खराब हो जाता है। इसलिए उन्होंने इस साल मन बनाया कि खेतों में लगी फसल को मवेशियों से बचाने के लिए अपनी जमीन के चारों ओर तार फेंसिंग की जाए। इसके लिए उन्होंने लाखों रुपए खर्च करना होंगे। अंचल में कई किसान ऐसे भी है जो खेत के आस-पास तार फेंसिंग करने के लिए पत्थर के चीरे लगा रहे है। जिनकी कीमत करीब हजारों में है। वहीं इन पत्थर के चीरों को लगाने के लिए जिसमें सीमेंट रेत व मजदूरी के लिए रुपए खर्च कर करना पड रहे है।
जनपद पंचायत में 17 गोशाला
सारंगपुर जनपद पंचायत में स्वीकृत 17 में से 11 गौशाला बन कर तैयार हो चुकी है। 6 गोशाला का निर्माण कार्य होना है। लेकिन अधिकांश गोशाला अभी अधूरी हैं। कई गोशालाओं का अब तक निर्माण तक शुरू नहीं हुआ है और जो गोशालाएं वर्तमान समय में संचालित हो रही हैं उन गोशालाओं में मवेशियों के लिए चारा पानी बिजली की कमी बनी हुई है। अधिकांश गोशालाओं में अधिक मवेशी है, तो कुछ में मवेशियों के रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शहरी क्षेत्र में भी समस्या बरकरार
शहरी क्षेत्र में भी ये समस्या लगातार बनी हुई है। हालत ये है कि शहरी क्षेत्र में भी रोजना शहर के चौक-चौराहों पर मवेशियों का जमघट लगा रहता है। जिससे सडकों से गुजरने वाले वाहन चालकों को भी काफी परेशानी हो रही है। दिन में तो वाहन चालकों को कम परेशानी होती है लेकिन रात के अंधरे में सडक के बीचों-बीच बैठे मवेशी वाहन चालको को दिखाई नहीं देते जिसके कारण कई वाहन चालक दुघर्टना का शिकार हो चुके हैं।