साइबर पुलिस का भी नहीं है खौफ…बढ़ते जा रहे है अपराध

उज्जैन। यूं भले ही साइबर पुलिस शहर में साइबर क्राइम रोकने का दावा करती हो लेकिन जिस तरह से साइबर अपराध बढ़ रहे है उससे महसूस होता है कि अपराधियों में साइबर पुलिस का भी खौफ नहीं है।

लगातार साइबर अपराधों के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार इस मामले में अपना ढर्रा सुधारने को तैयार नजर नहीं आते हैं। इसकी वजह से साइबर अपराधियों के हौसलें बुलंद बने हुए हैं। इसकी वजह से जो हालात हैं, इससे ही समझे जा सकते हैं कि अब तो सरकारी पोर्टल तक इन अपराधियों का शिकार होने लगे गए हैं।यह पहली बार नहीं है कि कोई सरकारी पोर्टल उनका शिकार बना हो, बल्कि ऐसा कई बार हो चुका है, लेकिन फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। हाल ही में ई-नगर पालिका के पोर्टल पर रैंसमवेयर अटैक हो चुका है। इसके पहले भी एनएचएम, बिजली विभाग के पोर्टल पर भी साइबर अटैकर्स हमला कर चुके हैं। अहम बात सही है कि इन सभी मामलों में की जांच का अब तक नतीजा सिफर ही बना हुआ है। इसके पीछे की मुख्य वजह साइबर पुलिस में स्मार्टनेस की कमी होना। यही नहीं इस तरह के मामलों से निपटने के लिए जिस तरह के प्रयास होने चाहिए , वह भी नहीं किए जा रहे हैं। इस तरह के ही मामले में हाल ही में गृह विभाग की बैठक में ई-नगर पालिका के पोर्टल पर हुए साइबर अटैक को लेकर अधिकारियों से सात दिनों में रिपोर्ट मांगी गई है कि 50 लाख लोगों का डेटा चोरी हुआ है या नहीं, लेकिन अब तक इसकी जानकारी तक नहीं दी गई है।
क्विक रिस्पांस टीम का गठन भी किया जाना था
साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिए एक पोर्टल तैयार किया जाना था, जिस पर शिकायत की जा सके और उसके आधार पर कार्रवाई भी हो सके। जो अब तक नहीं हुआ है। डायल 100 की तर्ज पर क्विक रिस्पांस टीम का गठन भी किया जाना था, लेकिन इस मामले में भी अब तक कुछ नहीं किया गया है। राज्य साइबर सेल की लैब क्षमता बढ़ाने की भी योजना थी, अभी 500 डिवाइस की जांच होती है, जिसे 2000 तक किए जाने की योजना थी और साइबर अपराधों की जांच के लिए अत्याधुनिक टूल्स खरीदे जाने की योजना थी,लेकिन अब तक इन पर कुछ भी नहीं हुआ।