किसान भाईयों द्वारा जैविक खेती के माध्यम से सब्जी एवं फसलों का किया जा रहा उत्पादन

शाजापुर। जिले में दो किसान भाईयों द्वारा जैविक खेती के माध्यम से सब्जी एवं फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। दोनों भाईयों ने एक बीघा जमीन से जैविक खेती की शुरुआत की थी,आज ये 35 बीघा जमीन में उत्पादन कर रहे हैं। रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक से आम लोगों की सेहत पर बुरा असर हो रहा है और जमीन भी बंजर होती जा रही है। किसान जैविक खाद और जैविक कीटनाशक भी खुद ही तैयार करते हैं। जैविक सब्जी और अनाज के अलावा यह सेव,तेल एवं चिप्स भी उपलब्ध करा रहे हैं। खाद्य सामग्री को तैयार करने के लिए प्लांट भी लगा रखा है। सेव के लिए बेसन सहित पूरा मसाला इन्हीं के खेत में पैदा हुई फसल से तैयार किया जाता है। तेल के लिए मूंगफली पैदा कर रहे हैं और प्लांट लगाकर उसे निकालते हैं। चिप्स के लिए खेत में पैदा किए हुए जैविक आलू से मशीनों के माध्यम से तैयार किया जा रहा है। इन किसानों की मेहनत से रासायनिक खाद के माध्यम से पैदा होने वाली जहर युक्त उपज से शरीर को बचाया जा सकता है। पूरे देश में किसानों को रसायन युक्त खेती छोड़ जैविक खेती पद्धति अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

शाजापुर जिले के गांव कुडाना के दो किसान भाइयों…..

शिवनारायण व अशोक शर्मा ने वर्ष 2015 में एक बीघा जमीन पर अर्धजैविक खेती करना शुरू किया और अपनी कुल जमीन 76 बीघा को जैविक खेती पद्धति से संवारने का संकल्प ले लिया। किसानों ने वर्ष 2020 में 5 बीघा जमीन से पूर्ण जैविक खेती करना प्रारंभ किया,5 वर्ष बाद वर्ष 2021 में पूर्ण जैविक खेती का रकबा 15 बीघा हो गया। इसके 1 वर्ष बाद फिर 5 बीघा बढ़कर जैविक खेती का रकबा 20 बीघा पर पहुंचा दिया। किसानों की जैविक उपज की बाजार में पहचान होने लगी, मांग बढ़ने लगी, वाजिब दाम मिलने लगा, उपज को बेचने के लिए शासन स्तर पर जैव बाजार के रूप में प्लेटफॉर्म मिला और राज्य जैव संस्थान भोपाल के द्वारा प्रमाणीकरण के दौरान किसानों को जैविक खेती का रजिस्ट्रेशन मिल गया तो इन किसान भाइयों ने जैविक खेती का रकबा बढाकर अब 35 बीघा पार कर दिया। जैविक उपज की पैदावारी के मान से इस बार इस जैविक खेती से किसानों को 15 से 20 लाख रुपए की आमदनी होने की संभावना है। बड़े रकबे के साथ पूर्ण जैविक खेती कर प्रदेश भर में अपनी एक अनोखी पहचान बनाई है। इन किसान भाइयों को शुरुआत में जैविक खेती से बहुत नुकसान उठाना पड़ा। धीरे-धीरे जैविक उपज की पहचान होने लगी, उपज को बेचने के लिए प्लेटफॉर्म मिला और मध्य प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणीकरण के दौरान रजिस्ट्रेशन भी मिल गया।