दो दर्जन विवादास्पद संस्थाएं बनी हुई है निरीक्षकों की चरागाह

एनओसी के नाम पर चला रहे हैं बड़ा कारोबार, वर्षों से यहीं जमे हैं
नगर प्रतिनिधि  इंदौर
इंदौर शहर की विवादास्पद संस्थाओं पर लंबे समय से इंदौर में ही लंबा कार्यकाल गुजार रहे सहकारिता के निरीक्षकों के कब्जे बने हुए है। इनमे से कुछ के तो दस साल से ज्यादा इंदौर में ही हो चुके हैं। यह अधिकारी राजनैतिक संरक्षण के कारण इंदौर से हटाये नहीं जा पा रहे हैं।
इन्हीं अधिकारियों ने एनओसी के नाम पर सहकारिता विभाग में बड़ा खेल चला रखा है। अब इन पर लगाम लगाई जा रही है। वरिष्ठ पंजीयक ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए पत्र लिखकर बता दिया कि हम कोई भी रजिस्ट्री नहीं रोक सकते हैं। एनओसी के आधार पर रजिस्ट्री की जाए, ऐसा भी कोई प्रावधान नहीं है। किसी संस्था में ज्यादा दिक्कत है तो वरिष्ठ पंजीयक को अवगत कराएं ताकि नियमों के अनुसार उचित निर्देश जारी हो सके।
सहकारिता विभाग ने कई गृह निर्माण संस्थाओं में खरीद-फरोख्त पर एनओसी का बंधन लगा रखा है। उसके नाम पर विभाग में बड़ा खेल चल रहा था। इसका खुलासा पिछले दिनों हुआ, जब लोकायुक्त पुलिस ने सहकारिता के निरीक्षक प्रवीण जैन को 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा। तीन साल में चार निरीक्षक एनओसी देने के एवज में रिश्वत लेते पकड़े गए हैं।
इस कांड के बाद में रजिस्ट्रार कार्यालय भी हरकत में आ गया। जानकारी निकाली गई तो डेढ़ दर्जन से अधिक कॉलोनियों में सहकारिता विभाग के निरीक्षकों ने प्रशासक होने के आधार पर एनओसी का अड़ंगा लगा रखा है। अब तक चार निरिक्षक रिश्वत लेते हुए पकड़ाये हैं। इस मामले में पकड़ाये एक निरीक्षक का कहना है कि सारा पैसा मैं नहीं रखता इसमे सहकारिता उपायुक्त का भी हिस्सा रहता है। बिना उनकी सहमति के कुछ नहीं हो रहा है।
जांच के बाद में वरिष्ठ पंजीयक दीपक कुमार शर्मा ने सहकारिता विभाग के उपायुक्त को पत्र लिख दिया है। इसमें कहा, गृह निर्माण संस्था की परिसंपत्तियों के विक्रय व रिसेल के संबंध में वैधानिक स्थिति स्पष्ट की जाए। इंदौर में दर्जनों गृह निर्माण संस्थाएं हैं, जिनमें विवाद की स्थिति है। संस्थाओं में चुनाव नहीं हुए तो सहकारिता विभाग ने निरीक्षकों को प्रशासक के तौर पर बैठा दिया। उनमें कई संस्थाएं ऐसी भी हैं, जिनमें पूर्व में ही सदस्यों को प्लॉट बेच दिए गए। उन्हें सदस्यों को दूसरे को रजिस्ट्री करने में प्रशासक या अध्यक्ष से एनओसी लेना पड़ती है। हालांकि वे आसानी से एनओसी नहीं देते। बाद में लेनदेन कर एनओसी दी जाती है। कहानी को वरिष्ठ पंजीयक शर्मा समझ गए और उन्होंने पत्र लिख दिया।
दस्तावेजों के पंजीयन के संबंध में उप पंजीयकों के कर्तव्य और प्रक्रिया निर्धारित है। दस्तावेज पेश करने पर उसका पंजीयन अनिवार्य है। उसमें एनओसी लेने का कोई प्रावधान नहीं है। कुछ संपत्तियों में प्रशासक, अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों द्वारा उप पंजीयक को एनओसी के लिए पत्र लिखे गए जो नियमों के विपरित हैं। आप अधिनस्थों को निर्देश जारी करें कि कोई अड़चन व अनियमितता है तो आपके माध्यम से वरिष्ठ पंजीयक को बताया जाए।