मंडलेश्वर : मान और अहंकार का त्याग ही सच्ची विनयशिलता है

मंडलेश्वर ।  जैन धर्म का सबसे पवित्र पर्व पर्युषण पर्व कहलाता है। जैन समाज अध्यक्ष समीर जैन एवं उपाध्यक्ष राहुल जैन ने बताया कि पर्व के दौरान प्रतिदिन नित्य नियम अभिषेक पूजन अर्चन किया जा रहा है। प्रात: काल की कक्षा में मुनि श्री प्रबोध सागर जी ने अजीव तत्व पर व्याख्यान दिया । पर्व के दुसरे दिवस प्रथम अभिषेक डा समकित जैन परिवार द्वारा किया गया एवं प्रथम शांति धारा शुभम राजेन्द्र जैन परिवार व द्वितीय सुप्रिया जितेन्द्र जैन परिवार करने का सौभाग्य को मिला। आचार्य श्री विद्यासागर जी के समक्ष दीप प्रज्जवलन समाज के सरक्षको द्वारा किया गया ।
इस अवसर पर नगर में विराजित संत प्रवर प्रयोग सागर जी महाराज एवं प्रबोध सागर जी महाराज के प्रवचनों से समाज भी लाभान्वित हो रहा है। मुनि प्रयोग सागर महाराज ने प्रवचन माला में बताया कि उत्तम मार्दव धर्म का पालन करने से व्यक्ति के अंदर का अहंकार का भाव मर्दन होता है ।तब वह सच्ची विनयशिलता को प्राप्त कर उसका मन मृदुला के भाव से भर जाता है जबकि दूसरी ओर मार्दव धर्म नहीं अपनाने वालो में मान कसाय के प्रवेश से उनका मैं अहंकारी बन जाता है ।जिसके प्रभाव में वह अकड़पन के कारण दूसरों को तुच्छ समझते हैं । ऐसे अनेकों नेता, व्यापारी अपनी छवि धूमिल कर चुके हैं। समाज के रितेश जैन ने बताया कि रात्रि में मांगलिक भवन में प्रतिदिन भजन एवं धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ।आज मुनि श्री की आहार चर्या का सौभाग्य श्रीमती राजकुमारी, सविता जैन टेंट हाउस व साधना प्रवीण जैन परिवार को मिला। समस्त कार्यक्रमों में वरिष्ठ नेमीचंद जैन युवा सेवा गुरु भक्त सफल जैन, संयम जैन , मोनू जैन , वरांग जैन, ज्ञायक जैन , अंश जैन , शुभी जैन आदि समाजजन उपस्थित थे।