व्यापारियों ने कहा- जब तक सरकार नहीं झुकेगी, मंडियों की हड़ताल खत्म नहीं होगी

इंदौर ।  प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में व्यापारियों की हड़ताल सोमवार को 14वें दिन भी जारी रही। इस बीच बंद मंडियों से सरकार और प्रदेश को प्रतिदिन कम से कम 500 करोड़ रुपये के कारोबार और राजस्व का नुकसान हो रहा है। भारी-भरकम मंडी टैक्स के खिलाफ मंडी व्यापारी हड़ताल कर रहे हैं। सरकार ने अब तक चर्चा के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाया है। सोमवार को प्रदेशभर के मंडी व्यापारियों के प्रतिनिधियों ने सीहोर में बैठक की। इसमें निर्णय लिया कि सरकार का रवैया अड़ियल है तो व्यापारी भी नहीं झुकेंगे। मंडियों की हड़ताल जारी रहेगी।
इधर, परेशान किसानों ने हड़ताल खत्म करवाने के लिए सरकार से पहल की मांग की है। मंडी बंद होने से दाल, तेल और आटा मिलों को भी आपूर्ति की किल्लत शुरू होने का अंदेशा है। अक्टूबर से प्रदेश में सोयाबीन की आवक भी शुरू होने लगेगी। ऐसे में यदि हड़ताल लंबी चली और किसानों की उपज की बिक्री अटकी तो नया संकट खड़ा हो सकता है। मध्यप्रदेश के अनाज-दलहन-तिलहन व्यापारियों द्वारा 11 सूत्री मांगों को लेकर सितंबर के पहले सप्ताह से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की गई थी।
किसानों के सामने आर्थिक संकट :
संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि 14 दिनों से प्रदेश की साढ़े तीन सौ से ज्यादा मंडियां बंद हैं। इससे जहां अरबों का व्यापार ठप हो गया है, वहीं किसानों को भी उपज बेचने के लिए कोई ठिकाना नहीं मिल रहा है। किसानों की इस मुसीबत को न प्रशासन देख रहा है ना ही शासन। हड़ताल से किसानों पर दोहरी मुसीबत है। उनके यहां तैयार फसल पड़ी है, लेकिन मंडियां बंद होने से वे उपज नहीं बेच पा रहे हैं। इससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
राज्य शासन हड़ताल को कर रहा अनदेखा : संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि राज्य शासन मंडियों की हड़ताल को लगातार अनदेखा कर रहा है। व्यापारियों से चर्चा करने के बजाय राज्य शासन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस हड़ताल को नजरअंदाज कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि या तो व्यापारियों से चर्चा कर कोई समाधान निकाला जाए और मंडियां प्रारंभ की जाए या फिर किसानों की उपज की खरीदी सरकार स्वयं करे।
सरकार अड़ियल तो हम जिद्दी
मप्र सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ ने सोमवार को सीहोर में बैठक बुलाई। प्रदेशभर के मंडी व्यापारी संघों के 80 से ज्यादा पदाधिकारी इसमें शामिल हुए। बैठक के दौरान व्यापारियों ने सरकार के अड़ियल रवैये के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। व्यापारियों ने दो टूक कहा कि हम सिर्फ मंडी टैक्स में समानता चाह रहे हैं और बांग्लादेश के नाम पर लग रहा टैक्स हटाने की मांग कर रहे है। साथ ही मंडी के नियमों में अफसरों की मनमानी को खत्म करना चाहते हैं। सरकार यदि बात करने और सकारात्मक पहल को तैयार नहीं है तो व्यापारी भी नहीं झुकेंगे। हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक सरकार मांगें नहीं मान लेती है। मंडियों में कामकाज शुरू नहीं होने दिया जाएगा। महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल के अनुसार, सरकार की ओर से अब तक चर्चा का प्रस्ताव भी नहीं आया है।