आज हिंदी दिवस-मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने का गौरव पाया शिवराज ने

मध्य प्रदेश ऐसा पहला राज्य जिसमें एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में, मातृभाषा को मुख्यमंत्री ने दिलवाया सम्मान

उज्जैन/ भोपाल। आज हिंदी दिवस है। हमारे देश की मातृभाषा के लिए गौरवशाली दिन और इसके साथ ही मध्य प्रदेश का सिर तब गर्व से ऊंचा हो जाता है, जब वह ऐसा एकमात्र प्रदेश बन जाता है, जिसने मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में भी करवाने का निश्चय किया। एमबीबीएस हिंदी में! यह तो कोई सोच ही नहीं सकता था। परंतु, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की दूरदर्शिता तथा हिंदी के प्रति अथाह प्रेम ने वह कर दिखाया जो संभव प्रतीत नहीं होता था। वैसे तो देशभर में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जाते हैं। बैंकों में भी अब हिंदी का चलन बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में किए जाने की योजना को हरी झंडी देकर मील के पत्थर का काम किया है।
भोपाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुखयमंत्री की उपस्थिति में एमबीबीएस हिंदी विषय की पुस्तक प्रस्तुत की थी। इस तरीके से मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया, जहां एमबीबीएस के छात्र हिंदी भाषा में पढ़ाई कर सकेंगे।

मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने वाला पहला राज्य मध्यप्रदेश

ज्ञात हो कि देशभर में अभी तक किसी भी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में नहीं कराई जाती है। यह प्रयास पहली बार मध्यप्रदेश में हुआ है। मध्यप्रदेश के नाम यह उपलब्धि जुड़ जाएगी कि वह पहली बार मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में छात्रों को करा रहा है।
उल्लेखनीय है कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई को हिंदी में कराने के लिए काफी प्रयास किया था, उनके प्रयास को हिंदी प्रेमी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरी झंडी दी।

नीट पास करने के बाद छात्रों को होती थी दिक्कत

मेडिकल की पढ़ाई करने वाले कई छात्र हिंदी मीडियम स्कूलों से आते हैं। बारहवीं कक्षा के आधार और कोचिंग में मेहनत के बाद वह नीट की ऑल इंडिया परीक्षा तो पास कर लेते हैं, लेकिन एमबीबीएस की पढ़ाई में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। एमबीबीएस का पूरा कोर्स अंग्रेजी में होने के कारण वह मेडिकल की बारिकियों को स्पष्ठ रूप से नहीं समझ पाते थे। अब हिंदी में कोर्स संचालित होने के बाद छात्रों की यह समस्या दूर हो जाएगी। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा था कि यह देश के लिए गर्व की बात है कि छात्र मेडिकल की पढ़ाई अब हिंदी में कर सकेंगे। क्योंकि कई छात्र हिंदी पृष्टभूमि के होने की वजह से मेडिकल की पढ़ाई में पीछे रह जाते थे। ऐसे छात्रों के लिए यह कोर्स काफी महत्वपूर्ण और मील का पत्थर साबित होगा।