तराना : जो मिले, जब मिले और जितना मिले उसी में संतुष्ट रहें

तराना ।  भगवान भोलेनाथ के जीवन की यह सीख बड़ी ही अद््भुत है। कभी दूध भी मिला तो प्रसन्न हो गए कभी केवल पानी ही मिला तो भी प्रसन्न हो गए। कभी किसी ने शहद अर्पित किया तो प्रसन्न हो गए और किसी ने धतूरा भी अर्पित किया तो सहर्ष स्वीकार कर लिए। केवल एक बिल्व पत्र पर रीझने वाले भगवान भोलेनाथ जीव को यह सीख देना चाहते हैं कि जरूरी नहीं कि हर बार उतना ही मिलेगा जितना आपकी इच्छा है। कभी-कभी कम मिलने पर भी अथवा जो मिले, जब मिले और जितना मिले उसी में संतुष्ट रहना तो सीखो, तुम आशुतोष बनकर अवश्य पूजे जाओगे। उपरोक्त विचार मंगलनाथ मंदिर तराना के पुजारी पंडित नवीन नागर ने शिव पुराण के मूल पाठ की समाप्ति के अवसर पर व्यक्त किए।