ब्यावरा : अनूठा रक्षाबंधन पेड़ पौधों को राखी बांध रक्षा का लिया वचन पेड़ों को बचाकर ही हम बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते

ब्यावरा ।  पेड़ों को बचाने के लिए छात्र छात्राओं ओर शिक्षक शिक्षिकाओ ने राखी के इस त्यौहार को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा है । शिक्षिका इंदिरा कुशवाहा ने बताया कि हमारी प्राचार्य सरिता गौतम के मार्गदर्शन के बिना यह विशेष कार्य संभव नहीं था पर्यावरण के प्रति उनका बहुत लगाव है उनके मार्गदर्शन में हमनें ने आज अपने बच्चों को बताया कि पेड़ों को बचाकर ही हम अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं आज बच्चों ने 60 पौधों को राखी बांधकर पौधों की रक्षा करने का लिया वचन ऐसा माना जाता है कि जब बहनें किसी को राखी बांधती है तो उसे भाई के रूप में देखती है। ऐसा ही पेड़ों के साथ है कि उन्हें राखी बांधने के बाद उनकी रक्षा भाई की तरह करने का संकल्प लिया जाता है आज हमने भी अपने स्कूल में पौधों को राखी बांधकर सभी छात्र-छात्राओं ने समाज ओर जनमानस को यह संदेश दिया कि पेड़ों को बचाकर ही हम बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण से बचा सकते हैं। इंदिरा कुशवाह ने बताया कि कोरोना काल में कैसे लोगों को आॅक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा था, भविष्य में कभी ऐसी विपत्ति न आए इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए और उन्हें काटना भी नहीं चाहिए सभी छात्र-छात्राओं और शिक्षक शिक्षिकाओं ने यह संकल्प लिया कि हम पौधों की रक्षा करेंगे हाई स्कूल परिवार से प्राचार्य सरिता गौतम इन्दिरा कुशवाह चेतन शर्मा विनोद सर प्रीति शाक्यवार विनय भार्गव सभी शिक्षक शिक्षिका उपस्थित रहे
अकोदिया मंडी
रक्षाबंधन पर्व पर भाद्रस के साया के चलते बुधवार को अधिकांष बहनों भाईयों की कलाई पर राखी दिन के बजाया षुभ मूहूर्त में रात्री नौ बजे ही बांधी। राखी में बड़ी संख्या में बहने अपने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बाधा और आरती उतार कर उनकी लंबी उम्र,सुख:समृद्धि की कमाना की। भाईयों ने भी बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। त्योहार की खुशी के मौक पर पूर्व विधायक जसवंतसिंह हाड़ा के परिवार में भी रक्षाबंधन पर्व हर्षोउल्लास से मनाया परिवार के अमरसिंह हाड़ा,जसवंतसिंह हाड़ा, दिलीपसिंह हाड़ा, जितेन्द्रसिंह, रघुवीरसिंह, गजेन्दसिंह,भारतसिंह, नटवरसिंह, बंटी हाड़ा सहित परिवार के सदस्यों को बहनों नें तिलक लगाकर आरती उतार कर रक्षासूत्र बंधकर मिठाई खिलाई। हाड़ा ने सभी को उपहार एवं भेंट दी। इसस पूर्व सुबह घारों के द्वार पर श्रवण कुमार की आकृती बनाकर उनकी पूजा की गई,तो वहीं व्यापारीयों,मिस्त्रीयों,कारीगरों ने अपने औजारों की पूजा कर राखी बांधी। बहनो द्वारा भाईयों की कलाई पर राखी बांधने का सिलसिला देर रात्री एवं दूसरे दिन सुबह से षुरू हो गया था,जो दिन भर रात तक चलता रहा। थालीयों में मिठाई,राखी और श्रीफल लिए बहनों ने अपने भाईयों की कलाई पर प्रेम स्नेह का अटूट सूत्र बांध कर भाई की लम्बी आयु व सुखसमृद्धी की कमान की तो वही भाईयों ने बहन की रक्षा का संकल्प लिया और उपहार स्वरूप कई तरह की भेंट दी। रक्षा बंधन के एक दिन पहले ही बहनों ने सभी तरह की तैयारीयां कर ली थी,जो राखी के दिन भाईयों को राखी बांधने को लेकर उनकी खुषीयों से भरे उत्सुक चेहरे पर देखने को मिली
सुसनेर
हर साल रक्षाबंधन पर उप जेल में बंद बंदियों को भी उनकी बहनें राखी बांधने के लिए जेल पहुंचती हैं। इस साल भी बहने अपने भाई को राखी बांधने के लिए पहुंची।रक्षाबंधन पर्व को लेकर महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं म.प्र. राजेश चावला ने प्रदेश के सभी जैल अधीक्षक को पत्र भेजकर रक्षाबंधन पर जेल मे बंदियों को राखी बांधने के लिए विशेष व्यवस्था किए जाने के निर्देश जारी किए थे। कोरोना संक्रमण के चलते पूर्व में बंदियों को राखी बांधने पर प्रतिबंध लगा रखा था। जेल में बहनों ने अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर अपराध ना करने का संकल्प भी लिया। जेल विभाग ने इसको लेकर जेल में विशेष व्यवस्था थी साथ ही आज के दिन पूरे दिन किसी भी समय बहने आकर अपने भाई से मिलने की छूट जेल विभाग ने की थी। कुछ बहनें आज भी रक्षाबंधन पर्व मनाने के लिए पहुंच सकती हैं।