इंदौर में जैन मुनि ने बच्चों को दिया 4 टी छोड़ने का सुझाव

इंदौर। बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में पूर्व मंत्री लक्ष्मण सिंह गौड़ की जयंती पर ‘पुण्योदय प्रकल्प’ के तहत 19वां विद्यादान कार्यक्रम आयोजित किया गया। छठवीं से 12वीं तक के सरकारी स्कूल के स्टूडेंट्स को नोट बुक बांटी गई। इस दौरान इंदौर में चातुर्मास कर रहे जैन मुनि आनंद चंद्र सागर ने स्टूडेंट्स को आशीर्वचन दिए। जैन मुनि आनंद चंद्र सागर ने कहा कि आज कल के बच्चे 4टी में उलझे हुए हैं। टेलीविजन, टेलीफोन, ट्यूशन और टी-20 को जब तक नहीं छोड़ेंगे तब तक देश का भविष्य नहीं सुधरेगा।
हिंद रक्षक संगठन के संयोजक एकलव्य सिंह गौड़ ने कहा कि जिन छात्रों की शिक्षा परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण छूट जाती है, ये उनके लिए सहयोग है। इस प्रोग्राम को आयोजित करने से समापन होने तक लगभग 200 से अधिक लोग दिन रात मेहनत करते हैं।

चुनाव में टिकट की तैयारी नहीं, ये मदद

विधानसभा 2023 में होने वाले चुनाव में माहौल बनाने और टिकट की दावेदारी के सवाल पर एकलव्य गौड़ ने क्षेत्र में केवल कमल की दावेदारी बताया। उन्होंने कहा भाजपा को जिताने के लिए कार्यकर्ता तैयार हैं। ये चुनावी कार्यक्रम नहीं है। जरूरतमंद बच्चों के लिए इस प्रकल्प की शुरुआत 2002 में लक्ष्मण सिंह गौड़ ने की थी। परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज 19वें वर्ष में हम पहुंच गए हैं।
इंदौर शहर और ग्रामांचल की सरकारी स्कूल के 60 हजार स्टूडेंट्स को 3 लाख नोट बुक उपलब्ध कराई जाती है। ये पूरा कार्यक्रम 11 जुलाई से 11 अगस्त तक चलता है।

4 टी में उलझा है देश का भविष्य

टेलीफोन : आजकल के बच्चों को टेलीफोन ने बहुत बर्बाद किया है। अगर आगे बढ़ना है तो मोबाइल पर कंट्रोल जरूरी है। क्योंकि पहले नींद से शरीर को आराम मिलता था अब मोबाइल को।
टेलीविजन : बच्चे स्कूल से घर पहुंचते हैं तो सबसे पहले उनके हाथ में टीवी का रिमोट कंट्रोल होता है। मम्मी से बात करने के लिए बच्चों के पास टाइम नहीं रहता।
ट्यूशन : बच्चों पर पढ़ाई का बोझ होने से बचपन खो गया है। अमेरिका की नदियों के बारे में तो पता रहता है लेकिन घर के आंगन में लगे पेड़ का पता नहीं।
टी-20 : 20-20 मैच से बच्चों के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा है। अच्छा विद्यार्थी बनने के लिए इससे बाहर निकलना पड़ेगा।

शायराना अंदाज में मुनि का शुभाशीष

जैन मुनि आनंद चंद्र सागर ने स्टूडेंट्स को भविष्य की राह दिखाते हुए कहा कि ‘सबरी ने बुलाया तो राम चले आए। सुदामा ने बुलाया तो श्री कृष्ण दौड़े आए। चंदनबाला ने बुलाया तो महावीर चले आए और लखन दादा ने बुलाया तो हम चले आए’। यहां पर स्टूडेंट्स के लिए किए जा रहे पुण्य के काम को देखकर हमारे मन को शांति मिली मन आनंदित हो गया।