ब्रह्मास्त्र विशेष: महाकाल लोक में कुछ तो गड़बड़ है दया …!

भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण, तूफान से सप्त ऋषियों की 6 मूर्तियां टूटने के 3 दिन बाद अब तीन किलो वजनी कलश भी गिरा

हद हो गई भ्रष्टाचार और घटियापन की..! अब भी समझो , यह घोटाला किसी की जान ले लेगा सरकार..!

उज्जैन। आंधी- तूफान में सप्त ऋषियों की मूर्तियां गिरने के तीन दिन बाद महाकाल लोक में एक और हादसा हो गया। गुरुवार को दोपहर करीब 3 बजे त्रिवेणी मंडपम् में पिलर पर लगा कलश भी गिर गया। गनीमत रही कि कलश किसी के ऊपर नहीं गिरा, क्योंकि महाकाल लोक में हजारों श्रद्धालु मौजूद थे। तीन किलो के कलश से टाइल्स भी टूट गई।
महाकाल लोक की भव्यता को लेकर जितने किस्से और कहानी सुनाए और बताए जा रहे थे, वे सब धूल- धुसरित नजर आ रहे हैं। मूर्ति टूटने का घोटाला तो आंधी -तूफान के बहाने जैसे- तैसे धक भी रहा था,लेकिन आम लोगों का कहना है कि अब कलश का भी टूटना बता रहा है कि जमकर घोटाला हुआ है। जिन- जिन ने भी इस घोटाले की मलाई चाटी है, वह बाबा महाकाल के कोप से बच नहीं सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस ढंग से महाकाल लोक का लोकार्पण किया था, उस हिसाब से जो क्वालिटी रखी जानी थी वह तो कहीं नजर नहीं आ रही है। आंधी-तूफान की मूर्तियां नहीं ठहर पाई क्योंकि उनके अंदर बेस ही नहीं था। बाद में तो बगैर आंधी- तूफान के ही कलश अपने ठिए से उखड़ गया। यदि इस मामले की जांच टीवी धारावाहिक सीआईडी की तर्ज पर एसीपी प्रद्युम्न कर रहे होते तो उनके मुंह से भी यही निकलता- महाकाल लोक में कुछ तो गड़बड़ है दया.. कुछ तो गड़बड़ है… पता लगाना पड़ेगा।
महाकाल लोक में लगाई गई सामग्रियों की गुणवत्ता को लेकर सवाल तो पहले भी उठे थे। कांग्रेस के अलावा अन्य लोगों ने भी प्रश्न किए थे, लेकिन उनकी आवाज कब और कैसे दबा दी गई, यह जांच का विषय है या फिर उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज बन कर रह गई। गड़बड़ी करने वाले घोटालेबाजों ने बोलने वालों के हलक से बाहर आवाज भी नहीं आने दी होगी। अभी भी गुजरात की कंपनी को बचाने के लिए ईमान बेच दिया होगा। तभी तो गारंटी पीरियड बता कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है जबकि होना तो यह चाहिए कि कंपनी की आंख में आंख डालकर पूछा जाना चाहिए। लाखों रुपए लेने के बावजूद घटिया सामग्री क्यों लगाई? क्यों मोदी के मान सम्मान का भी ध्यान नहीं रखा ?

किसी के सिर पर गिरा होता तो जान भी जा सकती थी

बिहार से आए एक श्रद्धालु मनीष कुमार ने बताया कि वह वहीं पर खड़े हुए थे। कुछ दूरी पर ही कुछ मीडिया कर्मी भी थे। ऊपर से कुछ ढाई- तीन किलो वजनी कलश नुमा पत्थर गिरा। जिससे टाइल्स भी टूट गई। यदि यह किसी के सिर पर गिरता तो उसकी जान जा सकती थी।

ऊपर से गिरा वजनी पत्थर, भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण- प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह राजावत का कहना है कि यह वजनदार पत्थर ऊपर से नीचे गिरा। वहीं पर एक पत्रकार भाई भी खड़े हुए थे जिनके ऊपर गिर सकता था। वह बाल-बाल बचे। यह भ्रष्टाचार की हद है अभी हम यहां पर आए तो जैसे बाबा महाकाल ने कहा कि यह भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है, इसकी भी आवाज उठाओ।

यह भ्रष्टाचार नहीं है तो और क्या है?

अभी भी चिपके हैं पत्थर, न जाने कब कौन सा किस पर गिर जाए और जान पर बन आए- शहर कांग्रेस अध्यक्ष शहर कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया ने बताया कि पत्रकार साथी मनोज भाई, नासिर भाई आदि यहीं थे। यह पत्थर मैंने स्वयं ऊपर से नीचे गिरते हुए देखा। आधा सेकंड पहले वह इस पत्थर के नीचे ही खड़े हुए थे। वह हटे और यह पत्थर गिरा। पत्थर की क्वालिटी देखो। इस पर जो गम लगा हुआ है चिपकाने के लिए वह देखो। अब सब लोग घूम रहे हैं। यहां पर ऊपर और पत्थर चिपके हुए हैं। क्या मालूम कब कौन सा पत्थर नीचे गिर जाए और जनहानि हो जाए। यह करीबन 3 किलो के वजन का पत्थर है। यह भ्रष्टाचार नहीं है तो और क्या है? यह पत्थर अगर किसी के सिर पर गिरता तो जनहानि हो जाती। क्योंकि, पत्थर जिस टाइल्स पर गिरा , वह टूट गई, चूर चूर हो गई। यदि किसी के सिर पर गिरता तो उसका क्या होता? यह भाजपा की सरकार है और भ्रष्टाचार है। अभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा आए थे। हम सब लोग मूर्तियों का अवलोकन कर रहे थे तो मूर्तियों के रिपेयरिंग का काम चल रहा था। हमें देखकर कलेक्टर ने नया बयान दे दिया कि हम नई मूर्ति लगाएंगे। अरे जब पहले नहीं लगा पाए तो अब क्या लगाएंगे ? अब तो यह सरकार जाने वाली है। यह कमलनाथ की 300 करोड़ रुपए की योजना थी। अब तो कांग्रेस सरकार ही इस काम को पूरा करेगी।

चिपकाए गए पत्थर अब गोंद सूखने से नीचे गिर रहे

कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल मूर्तियों का अवलोकन करने पहुंचा था ,उसी दौरान पत्रकार त्रिवेणी मंडप में खडे थे । तभी करीब 30 फीट ऊंचे पिलर से लट्टू नुमा पत्थर नीचे गिर गया। उसी समय साथी पत्रकार ने जय सीता राम कहा। तभी मण्डपम में सफाई कर्मचारी ने जय सीता कहने की जगह जय महाकाल कहने का कहा। इस पर पत्रकार ने एक कदम आगे ही बढ़ाया था कि पीछे लगे पिलर पर से लट्टू नुमा पत्थर गिर गया। गनीमत रही कि पत्थर सर पर नहीं लगा। नीचे जिस जगह पर पत्थर गिरा वहां की टाइल्स फूट गई और उसमें बड़ा सा गड्ढा हो गया। त्रिवेणी मंडपम में इस प्रकार के कई लट्टू नुमा पत्थर लगे हुए हैं, जो कि पिलर से चिपके हुए हैं। गोंद सूखने पर यह पत्थर अब नीचे गिर रहे हैं। यदि प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो रोजाना जनहानि होगी।

भ्रष्टाचार लोक से महाकाल लोक को बौना किया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा ने कहा है कि बाबा महाकाल का तो बाल भी बांका नहीं कर पाएगी भ्रष्टों की जमात, किंतु याद रखना बाबा का दरबार भ्रष्टों और उनके संरक्षण दाताओं की चमड़ियां तक उखाड़ लेगा। वह ( महाकाल ) पूरी सृष्टि को संचालित करते हैं। काले धन से खरीदी किसी सरकार को नहीं। केके मिश्रा ने यह भी ट्वीट किया है कि अब पाप और न्याय का अंतर दिखाई देगा।
केके मिश्रा ने एक और ट्वीट किया है जिसमें कहा है कि भ्रष्टों का कमाल, पहले भ्रष्टाचार लोक से महाकाल लोक को बौना किया। प्रचारवादी भूख मिटाई, धर्म का राजनीतिकरण, घटिया निर्माण को भी अपने खाते में डाला। अब बाबा के तांडव, बदनामी से बचने के लिए कमलनाथ सरकार! हां अब स्वीकारा- योजना, बजट, आवंटन कमलनाथ की। मिश्रा ने सवाल किया है कि डकारा किसने?