April 19, 2024

बड़नगर। उपनिशेदों में कहा गया है तेन त्यक्तेन भुंजिथा अर्थात् जिन्होने त्याग किया है वही भोग सकता है । उक्त उद्गार पं. अखिलेश व्यास ने श्रीकृष्ण भक्त मंडल द्वारा आयोजित भागवत कथा के द्वितीय दिवस अपनी कथा प्रसंगों में सति चरित्र के वर्णन में बताया कि पत्नी को अपने पति को परमेश्वर मानकर सेवा करनी चाहिए। इसके परिणाम स्वरुप सुख, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है तथा परमात्मा सदैव प्रसन्न रहते हैं । कपिल और देवहुती के संवाद का सुन्दर वर्णन करते हुए कहा कि माता बालक की प्रथम गुरु होती है परन्तु इस कथा में माता देवहुती को अपने पुत्र भगवान कपिल मुनि से आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई अर्थात् ज्ञान जहां से भी प्राप्त हो ग्रहण करना चाहिए इसमें कभी संकोच नहीं करना चाहिए । कथा के अंतिम प्रसंग में ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए आपने बतलाया कि नन्हें बालक ध्रुव ने अपनी तपस्या के बल पर प्रभु के दर्शन किये एवं उच्च पद को प्राप्त किया परन्तु हमारी इतनी उम्र होने पर भी हम उससे वंचित क्यों है ? इसके लिए हमें निरन्तर प्रभु का आराधन, चिंतन, भक्ति एवं प्रभु की सेवा करनी चाहिए जिससे हम सहज ही उन्हें प्राप्त कर सकते हैं। सप्त दिवसीय श्रीमद् भागत प्रवचन माला में संस्था की ओर से समस्त भक्तों को श्री भागवत के पूजन और सभी को आरती का सौभाग्य प्रदान करवाया गया ।