अखण्ड परमधाम आश्रम पर 65 सर्वजातीय कन्याओं का विवाह समारोह आयोजित

ब्यावरा। भारत ही अकेला है जहां पति पत्नी को अर्धांगनी कहता है। किसी अन्य देश मे यह व्यवस्था नहीं है। आज से पति के दो हाथ बढ़ गए। जब आवश्यकता होगी तो चार हाथ काम आएंगे। इसलिए पति पत्नी को लक्ष्मी नारायण कहा गया है। जो विवाहित है वे भी इसका अनुशरण करें। भगवान जगत पालक है, आप अपने बूढ़े माता पिता का भी पालन पोषण करें। अपने माता पिता को सुखी करो और राष्ट्र का भी ध्यान रखकर अपना जीवन जिएं। उक्त उद्गार स्थानीय अखण्ड परमधाम आश्रम पर आयोजित 65 कन्याओं के सर्वजातीय विवाह समारोह में वर वधु को आशीर्वाद देते हुए महामंडलेश्वर अनंत श्री पूज्य परमानंद जी महाराज ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि इस पावन संस्कार में संत भागीदार बन गए है। इसलिए यही आशीर्वाद है कि मन खराब हो तो साफ करते रहना। संतो के आशीर्वाद से मन को ठीक किया जा सकता है। प्रतिज्ञा लें कि एक बार हाथ पकड़ लिया, तो तलाक जैसी नोबत न आये। अगले जन्म भी साथ रहे इतना प्रेम हो। भारतीय संस्कृति के अनुसार अगले जन्म में भी आपका यही जोड़ा रहे। आयोजन में महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 श्री ज्योतिर्मयानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 श्री चिदम्बरानंद जी महाराज, साध्वी दिव्यचेतना दीदी, प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री व जिले के प्रभारी डॉ. मोहन यादव, सांसद रोड़मल नागर, विधायक रामचंद्र दांगी, कलेक्टर हर्ष दीक्षित, एसपी वीरेंद्र सिंह भी उपस्थित थे। अखण्ड परमधाम सेवा समिति की ओर से डॉ.के सी मिश्रा ने सभी का आभार व्यक्त किया।
बिना तप के संसार नहींं चलता
महामंडलेश्वर पूज्य परमानंद जी महाराज ने कहा कि एक संतान वंश चलाने, दूसरी देश रक्षा और तीसरी धर्म प्रचार के लिए होना चाहिए। इसलिए सब वर वधु को अपने गृहस्थ जीवन में कम से कम तीन संतानें उत्पन्न करना चाहिए। प्रसव भी एक प्रकार का तप ही है। बिना तप के संसार नहीं चलता। इसलिए प्रसव पीड़ा से न डरें। देश की चिंता करने हमारा कर्तव्य है। उन्होंने यह भी कहा कि हम ऐसे दल का समर्थन करें जो देश हित मे काम करता हो। इस अवसर पर गरूदेव ने नशा मुक्ति का संकल्प सभी जोड़ो को दिलाया। उन्होंने बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए नित्य शाखा में भेजने की बात भी कही। इंद्रियां ही मनुष्य की मित्र है और ये ही शत्रु है। समय शक्ति का दुरुपयोग न करें। हर मान्यता हर रिश्ते देश हित में है। साधु की कोई जाति नहीं है। साधु के सब अपने है। संतों की सीख में चले तो देश महान बनेगा। भागवत व अन्य शास्त्रों को आदर्श मानकर चलें। भारत को जगद गुरु बनाएं।