खुसूर-फुसूर
धर्म के साथ अब कर्म का गठजोड
उज्जैन पुरातन काल से ही धर्म नगरी रही है। इसके साथ ही कई शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि यह कर्म नगरी यानिकी उद्योगों को लेकर भी प्रसिद्ध रही है। कुछ दशक पूर्व उज्जैन का कपडा एशिया में प्रसिद्ध था। उज्जैन सूती लट्ठे के लिए प्रसिद्ध रहा है। गुरूवार को एक दिवसीय आयोजन में प्रदेश के इस क्षेत्र में स्प्रिचुयल और वेलनेस को लेकर आयोजित समिट में निवेशकों ने अपना रूझान दिखाया है। करीब 2 हजार करोड के निवेश को लेकर शासन और निवेशकों के बीच सहमति बनी है। देश के योग, आयुर्वेद से संबंधित इन निवेशकों में संत भी शामिल हैं। स्प्रिचुअल एवं वेलनेस के तहत धर्म नगरी तमाम तरह के उपचारों का केंद्र बनती है तो इससे देश ही नहीं विश्वस्तर से इसका जुडाव तो होगा ही उसका फायदा यहां के तमाम निवासियों को भी मिलना ही है। प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया ने भी इन सफलताओं की और ईशारा किया है। पास के शहर से चिकित्सा क्षेत्र के ही बडे नाम ने इसमें बडी निवेश की पहल की है। इसके अलावा पास के अन्य शहर के चिकित्सा महाविद्यालय के संचालक भी इसमें अहम भूमिका के लिए आगे आए हैं। खुसूर-फुसूर है कि धर्म के साथ ही आध्यात्म एवं चिकित्सा के रूप में सेवा चाहे वो आधुनिक हो या आयुर्वेद, योग की हो सेवा इससे जुडा हुआ है। ऐसे में धर्म नगरी को कर्म के साथ नया और उंचा ओहदा मिलना तय है।
