उज्जैन में नकली नोट रैकेट का भंडाफोड़: 5 गिरफ्तार, रिटायर्ड कमिश्नर का बेटा भी शामिल
उज्जैन पुलिस ने गुरुवार को नकली नोट बनाने और उन्हें बाजार में खपाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। कार्रवाई में पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से 5 लाख 20 हजार रुपए के नकली नोट और नोट छापने का सामान जब्त किया है।
90 हजार में 3 लाख के नकली नोट
एसपी प्रदीप शर्मा के अनुसार, पकड़े गए आरोपी 90 हजार रुपए देकर 3 लाख के नकली नोट तैयार करते थे। नोटों को कोडवर्ड में वे ‘सैंडविच’ कहते थे।
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अमरदीप नगर स्थित एक इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान से खुलासा हुआ जब दुकानदार को दिए गए 100 और 200 के नोट संदिग्ध लगे।
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जांच में सामने आया कि आरोपी दुर्गेश, शुभम और शेखर ने 90 हजार रुपए देकर 3 लाख के नकली नोट खरीदे थे और इन्हें आपस में बांट लिया था।
पुलिस ने जब्त किया सामान
गिरोह के पास से पुलिस ने सीपीयू, कलर प्रिंटर, पेपर, स्केल, केमिकल और मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
आरोपियों के खिलाफ बीएनएस एक्ट की धारा 178, 179, 180 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
रिटायर्ड कमिश्नर का बेटा शामिल
पुलिस जांच में सामने आया कि गिरफ्तार आरोपियों में से एक शेखर, ट्रेवल एंड वेलफेयर डिपार्टमेंट के रिटायर्ड कमिश्नर महेश यादव का बेटा है और पेशे से आर्किटेक्ट है।
जेल से बना नकली नोट गिरोह का नेटवर्क
पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस रैकेट की शुरुआत जेल में हुई थी।
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आरोपी कमलेश और प्रहलाद की भेरूगढ़ जेल में मुलाकात नकली नोट प्रकरण में सजा काट रहे सुनील पाटिल से हुई थी।
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जेल से बाहर आने के बाद सुनील ने उन्हें नकली नोट बनाने का तरीका सिखाया।
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इसके बाद तीनों ने मिलकर देवास में नकली नोट छापने का धंधा शुरू किया।
पहले से अपराधी रहे आरोपी
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प्रहलाद: 2018 में एनडीपीएस प्रकरण में 10 साल की सजा।
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कमलेश: 2019 में एनडीपीएस प्रकरण में 10 साल की सजा।
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सुनील पाटिल: 2020 में नकली नोट प्रकरण में गिरफ्तार, 10 साल की सजा।
तीनों फिलहाल जमानत पर बाहर थे और इस दौरान उन्होंने नया नेटवर्क खड़ा किया। वर्तमान में सुनील देवास जेल में बंद है।
