इस बार भी बढेगा पालकों अभिभावकों की जेब पर आर्थिक बोझ फिर फीस बढाने की तैयारी,मजमा तैयार -स्कूल प्रबंधकों को प्रावधान में 10 प्रतिशत बढाने का अधिकार

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उज्जैन। नए शिक्षण सत्र में अभी समय है। इससे पूर्व ही पालकों अभिभावकों की जेब पर आर्थिक बोझ का मजमा तैयार हो गया है। इसके लिए नियमों को ही घोडा बनाकर उन पर निजी स्कूल ने सवारी की पूरी तैयारी कर ली है। करीब 10 प्रतिशत तक अभिभावकों ,पालकों की जेब पर इससे आर्थिक बोझ नए शिक्षण सत्र में बढने वाला है।महंगाई के दौर में निजी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दिलवाना अब मध्यम वर्ग के बूते के बाहर होने जैसे हाल बनने लगे हैं। बडे स्कूलों में प्रति वर्ष प्राथमिक स्तर के बच्चे पर पालक अभिभावक को कुल फीस सहित परिवहन व अन्य खर्च मिलाकर करीब 1.50 लाख रूपए खर्च करने पड रहे हैं।इस पर भी यह मामला नहीं रूका है। हर वर्ष फीस में 10 प्रतिशत के करीब निजी स्कूल वृद्धि करते जा रहे हैं। इस वर्ष भी इसके लिए बडे निजी स्कूलों ने मजमा तैयार कर लिया है। आने वाले माहों में पालकों अभिभावकों के हाथ में फीस कार्ड आने पर यह मामला उनके सामने होगा। मजबूरी में पालकों को एक बार फिर से यह अदायगी करना होगी।नर्सरी के एडमिशन के 61 हजार से अधिक-हाल यह हैं कि शहर के एक बडे स्कूल में नर्सरी के प्रवेश में ही पिछले वर्ष से करीब 6 हजार रूपए अधिक फीस लेकर प्रवेश दिए जा रहे हैं। इनमें से कुछ स्कूलों में प्रवेश कि प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और कुछ में अभी प्रवेश को लेकर फार्म एवं अन्य स्कूल की आंतरिक प्रक्रिया जारी हैं। सामने आ रहा है कि इस वर्ष एडमिशन के लिए 61 हजार 400 रूपए फीस रखी गई है। इसके अलावा युनिफार्म एवं किताब कापी के साथ बच्चों के आने जाने के लिए टैक्सी एवं बस का व्यय अलग से पालकों अभिभावकों को वहन करना होगा। युनिफार्म ,किताब, कापी भी स्कूल प्रबंधन के बताए गए निश्चित कुछ स्थानों पर ही मिलना पूर्ववत तय है। इसके बाद भी बच्चों को ट्यूशन का अलग से सहारा लेना ही है।फैकल्टी कमजोर,फीस बराबर बढी-इधर सामने आ रहा है कि अधिकांश ऐसे स्कूलों में पूर्व वर्षों की अपेक्षा पढाने वाले शिक्षकों की योग्यता कमजोर बताई जा रही है। पढाने वाले शिक्षक स्नातकोत्तर स्तर के ही हैं। इनमें से अधिकांश को कुछ हजार रूपए ही मानदेय आधार पर दिए जा रहे हैं। इससे स्कूल में पढने वाले बच्चों को टयूशन का सहारा लेना ही पड रहा है। हालत यह है किे ऐसे स्कूलों के कई बच्चे हिन्दी भी ठीक ढंग से नहीं लिख पा रहे हैं। पूर्व में इन स्कूलों में विषय विशेषज्ञ अध्यापन कार्य करते रहे और उनकी सेवानिवृत्ति के उपरांत ऐसे स्कूलों में पूर्व जैसे शिक्षकों का अभाव ही रहा है।बडे बच्चों की फीस बढाने का मजमा तैयार-बडे स्कूलों में नर्सरी प्रवेश को लेकर बनाए गए मजमे को अंजाम दिया जाने लगा है तो प्राथमिक,माध्यमिक,हाईस्कूल एवं हायर सेकेंडरी के बच्चों के लिए भी फीस बढाने का मजमा तैयार कर लिया गया है। अंदर खाने से आ रही जानकारी के अनुसार पालकों अभिभावकों पर नए शिक्षण सत्र में ऐसे स्कूलों में तीन हजार पांच सौ से लेकर करीब 8 हजार रूपए वार्षिक रूप से यह बोझ जिले के कुछ निजी स्कूलों में बढाने की तैयारी कर ली गई है।जबलपुर कलेक्टर ने वापस करवाई थी फीस-प्रदेश में निजी स्कूल प्रबंधकों की मनमानी के रवैये पर प्रदेश में पिछले वर्ष सबसे पहले जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने लगाम लगाई थी। प्रशासनिक रूप से ऐसे स्कूल प्रबंधन पर उन्होंने नियमों के तहत घेराबंदी करते हुए बढाई गई फीस की रकम वापस करवाई थी। यही नहीं कुछ प्रबंधकों को भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली के दर्शन भी करवा दिए थे। इससे प्रदेश भर के ऐसे निजी स्कूल संचालकों में हडकंप मच गया था।10 प्रतिशत का अधिकार स्कूल प्रबंधन के पास-निजी स्कूलों में फीस वृद्धि को लेकर नियमों के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा बताते हैं कि प्रतिवर्ष कुल फीस का 10 प्रतिशत वृद्धि का अधिकार स्कूल प्रबंधन के पास है। इससे अधिक 15 प्रतिशत पर स्कूल प्रबंधन को जिला समिति से अनुमति लेना होती है। इसका संपूर्ण ब्योरा जिला समिति के समझ रखना होता है। जिला समिति के अध्यक्ष पदेन कलेक्टर रहते हैं। 15 प्रतिशत से अधिक की फीस वृद्धि के मसले राज्य समिति के समक्ष रखे जाते हैं।15 स्कूलों का मामला अब भी लंबित-पिछले वर्ष फीस वृद्धि के साथ ही अन्य मामलों में जिला समिति ने 16 स्कूलों को नोटिस देकर जवाब मांगे थे। इनके जवाब से असंतुष्ट होकर जिला समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर ने सभी 16 स्कूलों पर दो- दो लाख का जुर्माना लगाया था। इनमें से खाचरौद के एक स्कूल ने 2 लाख का जुर्माना जिला समिति को जमा किया था और उसकी प्रति जिला शिक्षा कार्यालय में जमा की थी। इसके अलावा 15 बडे स्कूलों ने जिला समिति अध्यक्ष के निर्णय के विरूद्ध राज्य स्तरीय समिति में अपील कर दी थी। तब से ही 15 स्कूल जिला समिति को मुंह चिढाते हुए अपने मनमर्जी से पालकों की जेब को हल्का कर रहे हैं। इस मामले में जिला समिति की स्थिति अब मुक दर्शक की बनकर रह गई है। बताया जा रहा है कि इन 15 स्कूलों की अपील राज्य स्तर समिति के समक्ष अब भी लंबित हैं।

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