फील्ड सर्वे के आधार पर होगी ‘अध्यक्षों’ की नियुक्ति, संगठन की मजबूती और सक्रियता के लिए कांग्रेस ने बनाया फॉर्मूला

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इंदौर। मप्र कांग्रेस की कार्यकारिणी के बाद अब पार्टी का फोकस संगठन की मजबूती और सक्रियता पर है। इसके लिए पार्टी ने फॉर्मूला बनाया है। जिसके तहत जिला और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियां फील्ड सर्वे के आधार पर की जाएंगी।
नेताओं के बड़े नाम या जान- पहचान के आधार पर किसी को पद नहीं मिलेंगे। पार्टी सूत्र सूत्रों का कहना है कि जिला और ब्लॉक स्तर पर जाकर सक्रिय कार्यकर्ता तलाशे जाएंगे। युवाओं और महिलाओं को अधिक महत्व दिया जाएगा।

पदाधिकारियों की नियुक्ति में नेताओं की सक्रियता और पूर्व के चुनावों में उनके योगदान को ध्यान दिया जाएगा। कई जिलों की कार्यकारिणी में लंबे समय से बदलाव नहीं हुआ है। ऐसे में फील्ड में जाकर स्थिति देखने के बाद रिपोर्ट बनाई जाएगी, फिर उसकी समीक्षा के बाद नियुक्ति दी जाएगी।
मप्र में विधानसभा और लोकसभा चुनाव की करारी हार के बाद कांग्रेस प्रदेश में पार्टी के संगठन को मजबूत करने अब गांव स्तर तक पहुंचेगी। कांग्रेस प्रदेश में ग्राम पंचायत कांग्रेस कमेटी का गठन करेगी। कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में राजनीतिक मामलों के लिए गठित समिति की बैठक में इसका निर्णय लिया गया।
बैठक में तय किया गया कि अब कांग्रेस ग्राम पंचायत स्तर तक अपने संगठन को मजबूत करने के लिए कदम उठाएगी। इसके लिए प्रदेश की सभी 23 हजार ग्राम पंचायतों में कांग्रेस कमेटी का गठन किया जाए जाएगा। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में अभी वार्ड स्तर पर तो कांग्रेस की कमेटी है, लेकिन अब पार्टी 50 घरों पर एक अलग से कमेटी बनाएगी।

नए साल में होगा बड़ा बदलाव —
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस आगामी दो वर्ष केवल संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम करेगी। इसके लिए नया फार्मूला लागू किया जाएगा। जिला और ब्लॉक इकाइयों के अध्यक्ष प्रत्येक तीन वर्ष में बदले जाएंगे। दोबारा काम करने का अवसर सिर्फ उन्हें ही मिलेगा, जिनका प्रदर्शन बेहतर होगा।
जिला प्रभारी एक माह के भीतर आवंटित जिलों का दौरा करके अपनी रिपोर्ट संगठन को देंगे, जिसके आधार पर नए वर्ष में लगभग 50 प्रतिशत जिला और ब्लॉक इकाइयों में परिवर्तन किया जाएगा।
अधिकतर नए पदाधिकारी 50 वर्ष से कम आयु के बनाए जाएंगे। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार का बड़ा कारण संगठन की कमजोरी को माना गया।
जिला और ब्लॉक इकाइयों के अधिकतर पदाधिकारी निष्क्रिय रहे। उन्होंने संगठनात्मक कामों में रुचि नहीं दिखाई, जिसके कारण कार्यकर्ता भी हतोताहित हुए। इस स्थिति को बदलने के लिए अब संगठन के पुनर्गठन पर फोकस किया जा रहा है।

युवा नेतृत्व पर फोकस —
राजनीतिक मामलों की समिति ने जिला और ब्लॉक इकाइयों को सक्रिय करने के लिए आम सहमति से दो सुझाव दिए थे, जिसे प्रदेश कांग्रेस ने स्वीकार किया है।
इसमें पहला पार्टी के कार्यक्रम भोपाल में करने के स्थान पर ब्लॉक या जिला स्तर पर किए जाएं और दूसरा जिला व ब्लॉक पदाधिकारी तीन वर्ष से अधिक पदस्थ नहीं रहना चाहिए। युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाना चाहिए। प्रदेश कार्यसमिति के माध्यम से इसकी शुरुआत की जा चुकी है। अब जिला और ब्लॉक इकाइयों में परिवर्तन किया जाएगा।
जिन पदाधिकारियों को पदस्थ रहते तीन वर्ष से अधिक समय हो चुका है, उन्हें बदला जाएगा। इसके लिए प्रदेश महासचिवों से कहा गया है कि वे प्रभार के जिले में बैठक करके संगठन की गतिविधियों को लेकर प्रतिवेदन तैयार करें।
इसमें यह भी बताएं कि जिला और ब्लॉक इकाइयों में पदाधिकारी कब से पदस्थ हैं। वहां नगरीय निकाय, जिला और जनपद पंचायत के साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव के परिणाम कैसे रहे हैं। पार्टी की गतिविधियों को किस तरह से संचालित किया जा रहा है।
कौन-कौन से अभियान चलाए गए हैं और पार्टी से नए लोगों को जोडने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। इन सब आधार पर जिला और ब्लॉक इकाइयों में परिवर्तन का निर्णय लिया जाएगा।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले वरिष्ठ नेता कमल नाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भेजा गया था, तब उन्होंने अपने हिसाब से जिलाध्यक्ष बनाए थे। इसके बाद कुछ जिला और ब्लॉक अध्यक्ष ही बदले गए।
प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि लगभग 50 प्रतिशत अध्यक्षों को चार वर्ष से अधिक हो चुके हैं। कुछ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष तो 15-15 वर्षों से हैं।
ऐसे सभी पदाधिकारी बदले जाएंगे। इसके साथ ही जो नई नियुक्तियां होंगी, उनमें अधिकतर 50 वर्ष से कम आयु के होंगे। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि हमारा पूरा फोकस संगठन की मजबूती पर है।
गांव, वार्ड और मोहल्ला प्रदेश समितियां गठित की जा रही हैं। पदाधिकारियों को प्रभारी बनाकर जिलों का दायित्व दिया है। आने वाले समय में इनकी रिपोर्ट पर निर्णय लिए जाएंगे।

रिमोट से नहीं चलेगी कमेटी —
प्रदेश प्रभारी भंवर जितेन्द्र सिंह ने साफ कर दिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी में दिल्ली का हस्तक्षेप कम होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस कमेटी अपने आप चलनी चाहिए। दिल्ली के रिमोट से कमेटी चले, ऐसा नहीं होना चाहिए।
आखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का प्रभारी आकर प्रदेश की कमेटी को चलाए यह नहीं हो सकता। बैठक में कांग्रेस की ब्लॉक स्तर तक गठित होने वाली कमेटियों में कोटा सिस्टम को लेकर हर बार उठने वाले सवालों को लेकर बैठक में निर्णय लिया गया है कि ब्लॉक स्तर तक बनने वाली कमेटियों में नियुक्तियों को लेकर नए मापदंड बनाए जाएंगे।
प्रदेश प्रभारी के मुताबिक बैठक में तय किया गया है कि जिला, ब्लॉक कमेटी में अपॉइंटमेंट के लिए कोई कोटा सिस्टम नहीं होगा, मेरिट बेस पर अपॉइंटमेंट होंगे। प्रदेश में जल्द ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक होगी।

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