इंदौर के प्रोफेसर ने बनाया कंट्रोल एल्गोरिदम, पेटेंट भी करवाया

सोलर पंप से होगी 33000 रुपये की बचत

इंदौर। सोलर क्रांति वाले देश में खेतों से लेकर इंडस्ट्री तक सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप का उपयोग हो रहा है। किंतु ऐसे पंप की कीमत अब भी अधिक होने के कारण कई किसान और लघु उद्योग इनका उपयोग नहीं कर पा रहे। इस समस्या का हल इंदौर के एक प्रोफेसर ने खोज निकाला है।
श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (एसजीएसआइटीएस) के इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर शैलेंद्र शर्मा ने कंट्रोल एल्गोरिदम सेंसर डेवलप किए हैं। इनसे सोलर पंप में लगने वाले सेंसर्स की संख्या कम हो जाएगी, जिससे उसकी कीमत पर भी असर पड़ेगा। साथ ही सोलर पंप की लाइफ भी बढ़ेगी। इस डिवाइस के लिए प्रोफेसर को पेटेंट भी मिल गया है।

पांच एचपी का खर्चा डेढ़ लाख

दरअसल, कृषि का एक बड़ा क्षेत्रफल अब भी असिंचित है। इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं। इससे फसलों का सही उत्पादन नहीं मिल पाता। ऐसे कई किसानों को डीजल और बिजली से चलने वाले पंपों के सहारे फसल की सिंचाई करनी पड़ती है और उत्पादन लेना पड़ता है। इससे खेती की लागत बढ़ती है।
अधिक लागत की वजह से खेती में मुनाफा कमाना भी मुश्किल होता है। किंतु इसका एक हल है कि सिंचाई सोलर पंप से की जाए। इससे बिजली या डीजल की खपत का खर्च कम हो जाएगा और किसान की फसल उगाने की लागत कम हो जाएगी। किंतु इसके बावजूद किसान सोलर पंप का इस्तेमाल अधिक नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि ये महंगे हैं।

33000 रुपये की होगी बचत

पांच एचपी (हार्सपावर) क्षमता वाले सोलर पंप के लिए किसान को करीब डेढ़ लाख रुपये चुकाने पड़ते हैं। सोलर पंप के इस्तेमाल को बढ़ाने के उद्देश्य से
पांच एचपी सोलर पंप की कीमत में करीब 33 हजार रुपये का खर्चा कम हो रहा है।

Author: Dainik Awantika