March 28, 2024

 

इंदौर। पिछले माह सरकारी पीसी सेठी अस्पताल की लापरवाही के कारण गर्भवती महिला अपने मृत बच्चे को 13 घंटे तक पेट में लेकर घूमती रही थी। इस मामले में जिम्मेदार डॉक्टरों की लापरवाही की जांच पूरी हो गई है। विडम्बना यह कि इस मामले में बच्चे का पिता पोस्टमार्टम के लिए रातभर उसका शव लेकर गोद में लिए बैठा था, उसकी जांच में किसी भी डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं पाई गई। चौंकाने वाली बात यह कि मामले में अभी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी नहीं मिली है। और स्वास्थ्य विभाग ने अपनी जांच भी पूरी कर दी है।

जिम्मेदारों की सफाई

सुपरिटेडेंट डॉ. निखिल ओझा का कहना है कि भले ही किसी डॉक्टर की लापरवाही नहीं पाई गई हो लेकिन अभी जांच में दो महत्वपूर्ण तथ्य शेष हैं। एक तो खुद पीडिता प्रसूता के बयान अभी नहीं हुए हैं और दूसरा बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।
हम इस बाबद पुलिस को दो बार लिख चुके हैं। उधर, सीएमएचओ डॉ. बीएस सेतिया का कहना है कि मैं अभी इंदौर में नहीं हूं। पूरे मामले को दिखवाना पड़ेगा। हालांकि 28 अप्रैल को खुद उनके द्वारा जांच पूरी करने का आदेश जारी हुआ है, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि मामले में किसी भी डॉक्टर की लापरवाही नहीं पाई गई।
दूसरी ओर पति गंगाराम इसे लेकर पूर्व में ही सीएम हेल्प लाइन पर शिकायत कर चुके हैं जिसकी जांच चल रही है। उनका आरोप है कि जांच के नाम पर दोषियों को बचाया जा रहा है। घटना के बाद वह परिवार सहित अपने गांव रायसेन में है जबकि पत्नी सदमे से उबरी नहीं है।
पीड़िता के नहीं पति के हुए बयान – चूंकि इस मामले में पीड़िता घटना के दौरान काफी कराह रही थी और फिर मृत बच्चा पाकर सदमे में थी इसलिए उसके बयान नहीं हो सके। मामले में गठित कमेटी ने उसके पति गंगाराम के लिखित में बयान लिए।
मामला प्रियंका पति गंगाराम शर्मा (29) का है। मार्च में उसे आठवां महीना चल रहा था। उसे पेट दर्द और कमर दर्द की शिकायत थी। तब डॉक्टरों ने उसे देखा और कहा था कि अभी सब नॉर्मल है।
इसके बाद 27 मार्च को उसे फिर पेट और कमर में तेज दर्द शुरू हुआ। दंपती ने फिर इसी अस्पताल में लेडी डॉक्टर को दिखाया तो कहा कि अभी डिलीवरी के सिम्टम्स नहीं हैं। डॉक्टर ने एक पर्ची पर सोनोग्राफी कराने के लिए लिखकर भी दिया। सोनोग्राफी यूनिट में बताया कि अभी सोनोग्राफी नहीं होगी क्योंकि आज का 30 सोनोग्राफी का टारगेट पूरा हो चुका है। इसमें अर्जेन्ट भी नहीं लिखा है। 11 अप्रैल को आकर प्रियंका ने इस अस्पताल में आकर सोनोग्राफी कराई। यहां से सोनोग्राफी रिपोर्ट लेकर पति लेडी ड्यूटी डॉक्टर के पास गया। वहां उन्होंने रिपोर्ट देखते ही कहा कि बच्चे की तो एक दिन पहले ही मौत हो चुकी है।
रात करीब 8 बजे पति ने कलेक्टर इलैया राजा टी. को फोन लगाया और सारी बातें बताई। उन्होंने कहा कि आप वहीं रुके, मैं डॉक्टर से बात करता हूं। कलेक्टर की नाराजगी के बाद रात 11 बजे पत्नी को ऑपरेशन थिएटर में लिया गया। इसके बाद पत्नी की कोख से मृत बच्चा निकाला। अगले दिन 12 अप्रैल को सुबह 5 बजे पति पुलिस के साथ बच्चे का शव लेकर अस्पताल पहुंचा और पोस्टमॉर्टम रूम में रखवाया। फिर दोपहर को उसका पोस्टमॉर्टम कर शव सौंपा गया था।

कलेक्टर नाराज हुए तब बैठाई थी जांच

इस मामले में कलेक्टर ने गहरी नाराजगी जताने के बाद अस्पताल सुपरिटेंडेंट डॉ. निखिल ओझा ने जांच के लिए डॉ. सीमा विजयवर्गीय व डॉ. कोमल विजयवर्गीय की टीम बनाई थी। मामले में पीड़ित पक्ष ने जनसुनवाई में भी शिकायत की थी।
इसकी जांच पूरी हो गई है।