April 19, 2024

इंदौर। किसी समय एक भी ऐसा नेता नहीं था जो अखबार से न जुड़ा हो। नेता या तो अखबार निकालते थे या अखबार में लिखते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। राजनीति में भी विचारक चाहिए। हमें ऐसे सोचने वाले लोगों की आवश्यकता है जो मौन न हों। जब आमजन शांत हो जाएगा तो लोकतंत्र भी शांत हो जाएगा। हमारे यहां दिक्कत यह है कि जवाबदारी कोई स्वीकारता नहीं है और पारदर्शिता होती नहीं है। भारत का दिल हमेशा बड़ा रहा है। लोग अक्सर खुद को कम आंकने लगते हैं लेकिन ऐसा नहीं होता है। एक अकेला व्यक्ति भी दुनिया बदल सकता है। ईश्वर ने जो हमें दिया है वह हमेशा हमें कम लगता है लेकिन ऐसा होता नहीं है।
यह बात सांसद वरुण गांधी ने कही। रविवार शाम वे जाल सभागृह में अभ्यास मंडल की 62वीं ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए। भारत के लिए भविष्य की राह अवसर और चुनौती विषय पर उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्ष से हमारे देश में संविदा नियुक्तियों का चलन बढ़ गया है। इसमें न तो स्थायित्व है न पेंशन की व्यवस्था। हमारे देश में एक करोड़ सरकारी पद खाली पड़े हैं। मप्र सहित 7 राज्यों में शिक्षकों के 42 लाख पद खाली पड़े हैं।
एक ओर सरकार युवाओं को रोजगार नहीं दे रही तो दूसरी तरफ उन्हें लोन देने में भी हिचक रही है। पिछले 10 वर्ष में 72 प्रतिशत ऋण उन उद्योगपतियों को दिया जिनका सालाना कारोबार एक हजार करोड़ से अधिक है। 20 प्रतिशत ऋण ऐसे उद्योगपतियों को दिया जिनका वार्षिक लेनदेन 100 करोड़ से लेकर एक हजार करोड़ के बीच है। देश के 20 बड़े उद्योगपतियों से बैंकों को 5 लाख 60 हजार करोड़ रुपये वसूलना है जबकि शेष भारतीयों से सिर्फ 80 हजार करोड़ रुपये। कार्यक्रम का संचालन मालासिंह ठाकुर ने किया।