March 29, 2024

मनावर। परम तपस्वी समर्थ दादा गुरु, तपो मूर्ति ने श्री बालीपुर धाम में पहुँचने पर श्री श्री 1008 श्री गजानन जी महाराज (बाबाजी) सतगुरु का दर्शन कर पूजन अर्चन किया गया। श्री धाम बालीपुर के प्रमुख एवं संचालक श्री योगेश जी महाराज एवं सुधाकर जी महाराज ने पुष्प मालाओ से उनका स्वागत- सत्कार किया । समर्थ दादा गुरु को आश्रम की वर्षभर की धार्मिक गतिविधियों के बारे में अवगत करवाया गया तथा देवी- देवताओं के दर्शन करवाएं। समर्थ दादा गुरु नेमावर से होते हुए नर्मदा के तट पर चिखल्दा मे “बाबा जी ” की समाधि स्थल पर जाकर दर्शन किये। उसके पश्चात श्री बालीपुर धाम में पहुंचे। जहां पर भक्तों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। समर्थ दादा गुरु ने अपने प्रवचन मे कहा कि जीवन परमात्मा है। प्राचीन धरोहर को सुरक्षित करने और पर्यावरण को बचाने का संदेश के लिए मै जगह-जगह यात्रा कर रहा हूं ।नर्मदा नदी के संरक्षण में यूं तो कई अभियान चलाए जा रहे है। लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा है नर्मदा मिशन के संस्थापक ,प्रकृति उपासक, समर्थ सद्गुरु दादा जिन्होंने 30 मार्च से अन्न का एक भी टुकड़ा ग्रहण नहीं किया है,केवल मात्र नर्मदा के जल पर ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं ।


उन्होंने आगे कहा है कि सीधे अपना शरीर ही मां नर्मदा को सौंप दिया है। जब तक समाज मां नर्मदा को बचाने के लिए नहीं जागरूक होता तब तक मैं इसी तरह उपवास पर रहूंगा। नर्मदा का जल इतना अच्छा है कि सिर्फ पीकर भी हम जीवित रह सकते हैं। उन्होंने 3200 किलोमीटर की निराहार रहकर मां नर्मदा की परिक्रमा की। ऐसे संत गुरु जिन्होंने प्रकृति ,धरा, धेनु, जीवनदायिनी पवित्र नदियों के साथ मां नर्मदा पर केंद्रित जीवन जिया ।अपना सर्वस्व समर्पित कर जीवंत मिसाल बने।”नदी नहीं तो शरीर नहीं ” के महावाक्य पर समाप्त किया। ओंकारेश्वर में भी दादा गुरु की पाठशाला बनाई। भारतीय हिंदू दर्शन प्रकृति, नर्मदा ,गंगा ,यमुना, नदी, पहाड़ों को जीवित प्रत्येक शक्ति के रूप में मानता है। उन्होने अपना जीवन राष्ट्र एवम नर्मदा के लिए समर्पित कर दिया है। अन्त मे सभी भक्तों को फलाहारी खिलाया गया। उनके साथ में राजेंद्र सिंह दरबार पूर्व सांसद प्रतिनिधि सनावद ,मुकेश मेहता,ओमप्रकाश राठोड,राधेश्याम मुलेवा उपस्थित थे। उक्त जानकारी सद्गुरु सेवा समिति के अध्यापक जगदीश पाटीदार ने दी।

रिपोर्ट कोशिक पंडित