April 20, 2024

समलैंगिकता कानून याचिका के विरोध में मातृशक्ति एवं सकल समाजजन द्वारा राष्ट्रपति के नाम बुरहानपुर कलेक्टर को सौपा ज्ञापन….

बुरहानपुर।- समलैंगिकता कानून याचिका के विरोध में नगर की मातृशक्ति एवं समाज जन द्वारा राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर बुरहानपुर को ज्ञापन सौंपा गया। इसमें उनसे भारत की संस्कृति को और प्रकृति को बचाने की मांग की गई।

ज्ञापन में लिखा है कि सांस्कृतिक रूप से भारत के सभी धार्मिक समूहों में विवाह के बिना परिवार और परिवार के बिना विवाह की कल्पना नहीं की जा सकती। समलैंगिक संबंध को विवाह की श्रेणी में रखने से भारतीय समाज की परिवार की अवधारणा और उसके आधारभूत ढांचे पर गंभीर प्रहार है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। भारत में व्यापक असर वाले विषय पर विधि निर्माण से पहले चर्चा और अध्ययन की परंपरा रही है। सर्वोच्च न्यायालय को भी इस सामाजिक और सांस्कृतिक, नीतिगत विषय पर विचार देने से पहले संसद को इस विषय पर अध्ययन और चर्चा के लिए अवसर देना चाहिए।

मातृशक्ति एवं समाज जन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष समलैंगिकता को कानूनी जामा पहनाने के लिए प्रस्तुत याचिका पर चिंता जताई गई। बताया गया कि याचिकाकर्ताओं का इस याचिका को प्रस्तुत करने का प्रमुख उद्देश्य यह है कि पुरुष, पुरुष के साथ अथवा महिला, महिला के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित कर सके इसलिए उन्हें कानूनी वैधता व संरक्षण प्रदान किया जाए।

महिला प्रतिनिधि ने बताया कि सभी ने विचार-विमर्श कर सर्वानुमति से निर्णय लिया गया कि यह याचिका हमारे धर्म संस्कृति व प्रकृति के नियमों के विरुद्ध है। हम प्राकृतिक नियमों के विरुद्ध उठाए गए कदमों की भर्त्सना करते हैं।

ज्ञापन का वाचन श्रीमती दिपीका तारकस द्वारा किया गया। इस अवसर पर मातृशक्ति श्रीमती लाड, श्रीमती पोद्दार,श्रीमती सुनिता चौधरी जवाहा अलावे, सुषमा बैरागी, रिना ब्रह्मचारी, किरण बोदडे, किरण रायकवार, सुधा चौकसे, रुबीना पठान सहित मातृशक्ति एवं समाजजन उपस्थित थे।

रिपोर्ट धनराज पाटील