March 28, 2024

बिछड़ौद। मंगलवार को गच्छाधिपति प.पू. नित्यसेन सुरीश्वर जी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी साध्वीवर्या प.पु. प्रितीदर्शना श्रीजी रूचिदर्शना, श्रुतिदर्शना, तृप्तिदर्शना, प्रीतदर्शना, रीतदर्शना, नेमिदर्शना आदि सात ठाना साध्वी भगवंत मंडल का सुबह 8 बजे बिछड़ौद में भव्य प्रवेश हुआ। जहां जैन समाज के समस्त श्रावक- श्राविकाओं ने ढ़ोल- नगाड़े की थाप पर बड़ी धूम- धाम से जगह- जगह गहुलियां बनाकर साध्वी भगवंतो की अगवानी की। साध्वी भगवंतो का मंडल नगर भ्रमण करते हुए स्थानीय जैन मंदिर परिसर पहुंचा। जहां स्थानीय उपाश्रय में मांगलिक का वाचन हुआ। वहीं दोपहर 2 बजे स्थानीय उपाश्रय में व्याख्यानमाला का भी आयोजन हुआ। जिसमें साध्वी भगवंत प.पू. प्रितीदर्शना श्रीजी म.सा. ने समाजजनों को व्याख्यान का श्रवण करवाते हुए कहा कि तप, आराधना के साथ जीव हिंसा को रोकना ही जैन समाज का मूल मंत्र है। जैन समाज भारत भर का प्रसिद्ध समाज है। जो भी जैन कुल में जन्म लेता है, वह भगवान महावीर प्रभु के पथ पर चलने का अनुयाई होता है, और अपने सांसारिक जीवन को त्याग, तपस्या और तप, आराधना का स्त्रोत बनाता हैं। क्योंकि यही त्याग- तपस्या और तप- आराधना ही मानव जीवन का कल्याण करती हैं। समापन पर प्रभावना बांटी गई।