April 20, 2024

उज्जैन। असमय घटना-दुर्घटना में होने वाली मौतों की वजह जानने के लिए पुलिस प्रक्रिया के चलते पोस्टमार्टम कराया जाता है। वर्ष 2022 में इसी प्रक्रिया के चलते जिला अस्पताल में 837 शवों का परीक्षण किया गया है। जिले की तहसील में होने वाले पोस्टमार्टम की संख्या वर्ष भर में डेढ़ सौ से अधिक रही। 2021 की तुलना में इस वर्ष पोस्टमार्टम की संख्या अधिक होना सामने आई है।
संभाग के सबसे बड़े जिला अस्पताल में पूरे जिले में होने वाली सड़क दुर्घटना, आत्महत्या और संदिग्ध परिस्थितियों में होने वाली मौतों का परीक्षण वजह जानने के लिए पुलिस प्रक्रिया में कराया जाता है। 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 की सुबह तक जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम कक्ष में 837 शवों का परीक्षण किया गया है। जिसमें आत्महत्या करने वालों की संख्या सबसे अधिक होना बताई जा रही है। दूसरे नंबर पर सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों के मामले शामिल है। जिला अस्पताल के साथ ही तहसील के शासकीय अस्पतालों में भी पोस्टमार्टम की सुविधा है जहां पूरे वर्ष में डेढ़ सौ से अधिक शवों का परीक्षण किया गया है। 2022 में हुए पोस्टमार्टम की संख्या वर्ष 2021 से कुछ अधिक रही है। 2021 में पोस्टमार्टम की संख्या 829 रही थी। जिला अस्पताल में पिछले 12 वर्षों से जीवन करे द्वारा पोस्टमार्टम किए जा रहे हैं। 2022 में अकेले ही 837 शवों का पोस्टमार्टम जीवन ने किया है। अब तक वह 6 से 7 हजार शवों का पोस्टमार्टम डॉक्टरों की मौजूदगी में कर चुका है। शवों को चीरने से लेकर वापस सिलने तक की प्रक्रिया जीवन द्वारा की जा रही है। पूर्व में वर्षों तक उसके पिता द्वारा जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम किए जाते थे। उनके निधन के बाद से ही जीवन जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम कक्ष की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। जीवन के अनुसार डॉक्टरों की मौजूदगी में मेडिकल औजारों का इस्तेमाल करते हुए मृतक के शरीर के 2 पार्ट का परीक्षण किया जाता है। सबसे पहले बाहरी हिस्से की जांच होती है। उसके बाद शरीर के अंदर अंगो की जांच की जाती है। जिसके लिए सिर से लेकर पेट तक को खोला जाता है। मौत की वजह का पता लगाने के लिए मृतक के शरीर के कुछ पार्ट्स निकाले जाते हैं जिन्हें केमिकल युक्त बॉक्स में बंद कर जांच के लिए संबंधित थाना पुलिस द्वारा प्रयोगशाला भेजा जाता है।