March 29, 2024

इंदौर। प्रदेश के सबसे बड़े एमवाय अस्पताल में खरगोन टैंकर हादसे के शिकार हुए 17 लोग भर्ती हुए थे। यहां भर्तीं घायल उपचार के बाद भी दम तोड़ते जा रहे हैं। इनमें से 11 इलाज के दौरान दम तोड़ चुके हैं। ये सभी 50 से सौ प्रतिशत तक जल चुके थे। बर्न यूनिट का मंजर झकझोर देने वाला है। फिलहाल बर्न यूनिट में दो मासूम बच्चियों सहित 6 घायलों का उपचार चल रहा है। ये सभी अभी भी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
एमवाय अस्पताल की बर्न यूनिट में भर्ती मीरा 100%, मालू 99%, नत्थू 90%, कान्या 80%, राहुल 80%, मुनीम 67%, सपना 64%, हीरालाल 63% अनिल 63%, सुरमा 50% और रामसिंह 46% झुलसे हुए थे। डॉक्टरों के मुताबिक 40% से ज्यादा जलने पर मरीजों को बचाना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसमें शरीर के महत्वपूर्ण अंग ठीक से काम करना बंद कर देते हैं। जले हुए मरीज को बात करते देख कई बार ऐसा लगता है कि वह सर्वाइव कर जाएगा, लेकिन कई बार वह ऐसी ही स्थिति में दम तोड़ देता है।

बीते सोमवार यानी दिवाली के दिन खरगोन में हुए इस हादसे में रंगू उर्फ गुडिया मौके पर ही जलकर कंकाल बन गई थी। जबकि बीस घायलों को इंदौर के एमवाय अस्पताल लाया गया था। इनमें मासूम शिवानी पिता प्रकाश (12) 41% और व लक्ष्मी पिता गोरेलाल (13) 43% जलने के साथ बुरी तरह झुलस गई थी। अपने आसपास परिवार व रिश्तदारों को देखकर वे भी बार-बार सिसकियां भर रही हैं। परिवार के लोग भी इनके सामने बहुत हिम्मत जुटाकर खड़े रहते हैं। हालांकि कम उम्र होने के कारण उन्हें तीसरी मंजिल के पीआईसीयू में रैफर किया गया है। दोनों बच्चियों के चेहरे व हाथ-पैर झुलसे हुए हैं।

पास वाले बेड पर मौत तो दूसरे मरीजों की भी हालत बिगडी

दूसरी ओर बर्न यूनिट की स्थिति भयावह बनी हुई है। इस वार्ड में आमतौर पर चार या पांच बर्न पेशेंट्स ही एडमिट रहते हैं। लेकिन खरगोन हादसे के कारण यहां एक साथ 20 मरीज भर्ती हैं। वार्ड का दृश्य इतना झकझोरता देने वाला है कि घायल और उनके परिजन लगातार रो रहे हैं। खरगोन हादसे में जले मरीजों की मौत होने पर उपचार करा रहे मरीजों के मन में मौत का डर और गहरा रहा है। परिजनों का कहना है वार्ड में ठहरना मुश्किल है लेकिन अपने घायल परिजनों की हिम्मत बंधाने के लिए वार्ड नहीं छोड सकते।