April 19, 2024

1 नवंबर 1956 का वह दिन। जब मध्य प्रदेश की स्थापना हुई। इस दिन के करीब 9 वर्ष पहले 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ था।
तय हुआ कि राज्यों का गठन भाषा के आधार पर हो। देश के मध्य में हिंदी ही प्रमुख भाषा थी, इसलिए मध्य प्रदेश को हिंदी भाषी राज्य के रूप में गठित किया गया। इसी दिन भाषायी आधार पर कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब और केरल का भी जन्म हुआ। दिल्ली भी इसी दिन केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आई।
लोग चाहते थे कि नागपुर मध्य प्रदेश की राजधानी बने लेकिन प्रदेशों के गठन में वह महाराष्ट्र में चला गया। जबलपुर, इंदौर और भोपाल के बीच रस्साकशी में अंतत: भोपाल को राजधानी बनाया गया। मध्यप्रदेश का जो पहला नक्शा बना, उसे देखकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बोले – ‘यह तो ऊंट जैसा लगता है। उस समय छत्तीसगढ़ भी मप्र में ही था, जो ऊंट की टांग जैसा लगता था। वर्ष 2000 में ऊंट की टांग यानी छत्तीसगढ़ अलग हो गया। 1 नवंबर 1956 को पंडित रविशंकर शुक्ल मप्र के प्रथम मुख्यमंत्री बने और सत्ता की कमान कांग्रेस के हाथ में आई।
मप्र का जन्म होते ही विकास-क्रम आरंभ हुआ। बांध बने, सड़कें बनने लगीं, कारखाने लगे, नगरीय निकायों का गठन हुआ, गांवों में पंचायती राज आया। समय के साथ मुख्यमंत्री भी बदलते रहे। सबसे ज्यादा कांग्रेस सत्ता में रही लेकिन भाजपा व जनता पार्टी का भी राज रहा। भाजपा तो अभी भी सत्ता में है। एक वक्त था जब जनता का जीवन कठिन था, कमाई कम थी, अर्थव्यवस्था सुस्त थी। फिर जब 1992 में देश की अर्थव्यवस्था को मुक्त कर दिया गया, तब मध्य प्रदेश को भी इसका लाभ मिला। उद्योग आने लगे, नए कारखाने लगने लगे। मध्यप्रदेश में साध्वी ने राज किया तो राजा दिग्विजय सिंह ने भी। द्विवेदी का कार्यकाल हरि बिजली संकट के कारण अंधकार युग कहलाया। ‘पांव-पांव वाले भइया’ के रूप में पहचाने जाने वाले शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थोड़े से ब्रेक के साथ लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेसी टूटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनकी राह आसान कर दी। कुल मिलाकर 66 वर्षों की इस गौरवशाली यात्रा में मध्यप्रदेश ने कई उतार-चढ़ाव देखे। कभी घोटालों की गूंज सुनाई दी तो अभी कुछ ही दिन पहले उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण का गौरवशाली दिन भी आया।
मध्य प्रदेश का 67 वे वर्ष में प्रवेश। सभी प्रदेशवासियों को दैनिक ब्रह्मास्त्र की ओर से बधाई। शुभकामनाएं।