April 25, 2024

गरीब बच्चों से भी कमाई

इंदौर। शिक्षा विभाग ने तिमाही परीक्षा में भी कमाई करने का गुणा-भाग लगा लिया है। प्रदेश में पहली बार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों से त्रैमासिक परीक्षा फीस वसूल की जाएगी। प्रत्येक विद्यार्थी से 100 रुपए लिए जा रहे हैं। प्रदेशभर में ऐसे 8 लाख विद्यार्थी हैं, इस मान से मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड 8 करोड़ रुपए वसूलेगा।

आश्चर्य की बात यह है कि इसमें से केवल 20 प्रतिशत यानी 1.60 करोड़ रुपए (प्रतिछात्र 20 रुपए) ही परीक्षा में उत्तरपुस्तिका खरीदी के लिए प्राचार्यों को दिए जाएंगे। बाकी 80 प्रतिशत यानी 6.40 करोड़ रुपए (प्रतिछात्र 80 रुपए) शिक्षा विभाग प्रश्नपत्र छपवाने के नाम पर खुद लेगा। इस राशि का केवल 10 प्रतिशत ही प्रश्नपत्र छपवाने पर खर्च होगा, बाकी राशि शिक्षा विभाग के खजाने में जमा कर ली जाएगी। इस संबंध में मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड भोपाल की ओर से जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं।

70 रुपए ज्यादा वसूली क्यों?

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का माहौल बनाने और विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं देने में नाकाम शिक्षा विभाग ने खुद शिक्षा का व्यवसायीकरण कर दिया। पिछले साल तक जिस तिमाही परीक्षा पर बमुश्किल 20 रुपए प्रति विद्यार्थी खर्च आता था, उस पर अब प्रति विद्यार्थी 100 रुपए वसूली का फरमान दे दिया है। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चे फीस भी नहीं दे पाएंगे। बेहतर तो यही होता कि प्रश्नपत्र की पीडीएफ प्राचार्यों को मेल कर दी जाएं और स्कूल अपने स्तर पर प्रिंट निकलवाकर परीक्षा ले लें। इससे 30 रुपए प्रति विद्यार्थी खर्च भी नहीं आएगा। इस कदम से गरीब अभिभावकों के 70 रुपए बच जाएंगे।