March 28, 2024

उज्जैन। आषाढ़ कृष्ण नवमी 22 जून को सूर्य सुबह 11.50 बजे पर्जन्य यानी बारिश होने के नक्षत्र आर्द्रा में प्रवेश करेंगे। इसी दिन से मेष वाहन श्रेष्ठ वर्षा के योग भी शुरू हो रहे हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बावाला ने बताया कि मेदिनी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्षा का प्रबल कारक सूर्य तथा वर्षा ऋतु का कारक बुध ग्रह को माना है।
यह अपनी राशि या मित्र राशि के परिभ्रमण में गोचरस्थ हो या गोचर करते हो तब इस प्रकार के योगों में वर्षा का चक्र बनता है। उसी क्रम में वर्षा की दिशा तथा दशा दोनों तय हो जाती है। वर्षा के लिए बेहद खास माना जाने वाला नक्षत्र आर्द्रा है। जब सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश होता है तो वर्षा ऋतु का चक्र तैयार होता है। आर्दा नक्षत्र पर्जन्य नक्षत्र की श्रेणी में आता है। इस दृष्टि से इसे विशेषता प्रदान की गई। विशेष तौर पर यह भी कहा जा सकता है कि आषाढ़ मास में इस नक्षत्र का प्रभाव सर्वत्र भूमंडल पर अलग प्रकार का होता है। यह नक्षत्र अगले 4 महीने वर्षा ऋतु को अपने प्रवेश काल से संतृप्त करता है। यदि इस नक्षत्र में कोई ग्रह का दृष्टि भेद हो तो कहीं-कहीं खंड वृष्टि की स्थिति भी उत्पन्न होती है।