March 29, 2024

मुंबई। शादी से पहले अपनी मंगेतर को अश्लील मैसेज भेजना अपराध माना जाए या नहीं, इस विषय पर मुंबई की एक अदालत ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि शादी से पहले महिला को अश्लील मैसेज भेजना किसी की गरिमा का अपमान नहीं हो सकता। कोर्ट ने इस मामले में एक 36 साल के व्यक्ति को धोखा देने और महिला के साथ बलात्कार करने के आरोप से बरी कर दिया। ये मामला कोर्ट में पिछले 11 सालों से चल रहा था।

यदि दूसरे पक्ष को ये सब पंसद नहीं तो वह मना कर सकता है एक प्रतिष्ठित अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘शादी से पहले इस तरह के मैसेज भेजने से खुशी मिलती है और ये महसूस होता है कि कोई व्यक्ति किसी की भावनाओं को समझने के लिए काफी करीब है। कोर्ट ने कहा, ‘यदि दूसरे पक्ष को ये सब पसंद नहीं है, तो उन्हें अपनी नाराजगी व्यक्त करने का विवेक उनके पास है और दूसरा पक्ष आम तौर पर ऐसी गलती की पुनरावृत्ति से बचता है। लेकिन किसी भी तरह से उन संदेशों को लेकर ये नहीं कहा जा सकता कि अमुक संदेश उसकी गरिमा का अपमान करने के लिए भेजे गए थे।

क्या था पूरा मामला आपको बता दें कि एक महिला ने साल 2010 में एक शख्स के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। ये दोनों शख्स साल 2007 में एक मेट्रीमोनियल वेबसाइट के जरिए मिले थे। युवक की मां नहीं चाहती थी उसका बेटा उस लड़की से शादी करे। इसके बाद साल 2010 में दोनों ने एक-दूसरे से सारे रिश्ते खत्म कर लिए। इसके बाद आरोपी शख्स को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा की शादी का वादा करके छोड़ने को धोखा देना या रेप करना नहीं कहा जा सकता है।

अश्लील मैसेज भेजने का मकसद अपनी इच्छा जाहिर करना हो सकता है कोर्ट को यह बात बताई गई की दोनों शादी के लिए आर्य समाज मंदिर गए थे, लेकिन शादी के बाद एक साथ रहने के मुद्दे पर दोनों के बीच झगड़ा हुआ और लड़के को अपनी मां के दवाब में शादी से इंकार करना पड़ा। मुंबई की अदालत ने कहा कि यह मामला शादी के झूठे वादे का नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि शादी से पहले मंगेतर को अश्लील मैसेज भेजने का मकसद दोनों के बीच अपनी इच्छा जाहिर करना हो सकता है।