दैनिक अवंतिका उज्जैन।
आषाढ़ शुक्ल की एकादशी से देव सो गए। इसके साथ ही चातुर्मास शुरू हो गया। शुभ व मांगलिक कार्य भी बंद हो गए। देवताओं के सोने के कारण ही इस एकादशी को देवशयनी एकादशी भी कहते है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि भगवान इसी एकादशी से विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और फिर सृष्टि का कार्यभार शिवजी संभालते हैं। चातुर्मास का समय भक्ति, साधना और सेवा का होता है। देवताओं के सोने के कारण ही इस अवधि में कोई मुहूर्त नहीं होते और शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। चातुर्मास में केवल भजन-कीर्तन, कथा-प्रवचन आदि धार्मिक अनुष्ठान चलते हैं।
देवउठनी एकादशी से फिर शुरू होंगे शुभ कार्य
चातुर्मास यानी चार माह के बाद जब देव देवउठनी एकादशी पर देव जागेंगे तो शुभ व मांगलिक कार्य एक बार फिर शुरू हो सकेंगै। इस बार देव उठनी एकादशी 1 नवंबर 2025 को आ रही है। इस दिन भगवान विष्णु पुन: योग निद्रा से जागेंगे।