ब्रह्मास्त्र उज्जैन
रथ में सवार जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रारानी व अग्रज बलभद्रजी के साथ पूरे लाव लश्कर के साथ आज अपनी मौसी के घर गुंडिचा महल यानी कालीदास अकादमी से रथ पर सवार होकर अपने मूल स्थान इस्कॉन मंदिर पहुंचे। इस रथ यात्रा में सम्मिलित होने के लिए भक्त दूर-दूर से शहर मे आए हुए हैं। भक्तों ने पूरे उत्साह से रथ को खींचा और श्रद्धालु महिलाओं ने पूरे मार्ग को झाडू से बुहारा और स्वच्छता का संदेश भी दिया।
महिलाओं में अपार उत्साह- रथयात्रा को लेकर शहर में महिलाओं के बीच अपार उत्साह देखा गया। कई महिलाएं भगवान के अद्भुत रूप को देख उनकी बलैया ले रही थीं तो कुछ महिलाएं राहगीरों को प्रसाद वितरित कर रही थीं। अधिकांश श्रद्धालु महिलाओ ने पूरे रास्ते रथ को भक्ति के साथ खींचा।
ढोल व मृदंग की थाप पर थिरकते रहे भक्त
जय जगन्नाथ के उद्घोष के साथ प्रारंभ हुई रथ यात्रा में ढोल ताशे व मृदंग की थाप पर रास्ते भर भक्त थिरकते रहे। पूरे मार्ग पर आस्था के रंग बिखरे पडेÞ थे। निर्धारित समय पर रथ यात्रा इस्कॉन मंदिर पहुंची जहां पूरे विधि विधान के साथ तीनो के विग्रह को आसन पर विराजित किया गया।