महाकाल मंदिर प्रशासन की अब पंडे-पुजारियों पर नजर, आईडी चेक होगी- मंदिर में कौन आ रहा, किसकी पूजा करवा रहा, प्रोटोकॉल-भस्मारती सब की जांच

दैनिक अवंतिका उज्जैन।
महाकाल मंदिर प्रशासन की अब पंडे-पुजारियों पर सीधे नजर है। इसलिए सबसे पहले आईडी लगाना अनिवार्य किया गया है ताकि कोई भी बात होने पर तत्काल पहचान की जा सके। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने मंदिर प्रशासन के सभी अफसरों को आदेश दिए है कि वे पंडे-पुजारियों की आईडी चेक करे। उनके सेवकों को भी आईडी अनिवार्य किया गया है तथा उन पर भी नजर रखी जा रही है।
मंदिर में कौन पंडे-पुजारी आ रहे, कौन किसका पूजन करवा रहे, यजमानों को ला रहे, प्रोटोकॉल से दर्शन करवा रहे और भस्मारती की अनुमति ले रहे इन सब पर अब अफसरों की नजर है और प्रतिदिन जांच-पड़ताल भी की जा रही है। अफसरों की टीम कई श्रद्धालुओं से तो सीधे बात कर पूछ रही है कि कहीं उनसे वीआईपी दर्शन के नाम पर या भस्मारती अनुमति के नाम पर पैसे तो नहीं लिए गए है। क्योंकि हाल ही में एक के बाद एक मंदिर में भस्मारती के नाम पर तो कहीं वीआईपी दर्शन कराने के नाम पर दर्शन कराने के मामले सामने आ रहे हैं। इनमें बाहरी लोगों के साथ अब मंदिर के पंडे-पुजारियों तक के सीधे नाम सामने आ रहे हैं और यह नाम कोई और नहीं बल्कि उन्हीं के साथ काम करने वाले सेवक कर्मचारी ही ले रहे हैं।
पहले महाराष्ट्र फिर बंगाल की
महिलाओं से ले लिए हजारों रुपए
हाल ही में महाराष्ट्र के पूणे से आई पांच महिलाओं से 8500 रुपए लेने का मामला चल ही रहा है। पुलिस ने इस मामले में एक युवक दीपक वैष्णव को पकड़ा है। दूसरा राजू दुग्गड़ फरार है जिसकी तलाश जारी है। इसके अलावा एक और मामले में पश्चिम बंगाल की महिलाओं से 12 हजार रुपए लेने का मामला सामने आया है। इस दोनों मामले में पकड़ाए लोगों ने मंदिर के पंडे-पुजारियों से ही अनुमति कराने की बात सामने आई है। इसके बाद मंदिर प्रशासन ने अब सभी 16 पुजारी, 22 पुरोहित सब के लिए आईडी लगाकर मंदिर में नियम आने के आदेश दिए है।
समिति पंडे-पुजारियों का समय
तय करने पर विचार कर रही
मंदिर समिति अब पंडे-पुजारियों के मंदिर आने का समय भी निर्धारित करने पर विचार कर रही है। इसे लेकर समिति की बैठक में चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि वर्तमान में मंदिर के सभी पंडे-पुजारी अपने हिसाब से दिनभर ही मंदिर में आते-जाते रहते हैं। कई तो एक ही समय में बड़ी संख्या में एकत्रित हो जाते हैं। प्रशासन का मानना है कि पंडे-पुजारी अपनी बैठक के समय पर आए और वापस चले जाए तो एक ही समय में पर इतनी संख्या में सभी नहीं रहेंगे। लेकिन ऐसा करना संभव होगा यह बैठक में चर्चा के बाद स्पष्ट होगा।