April 19, 2024

ब्रह्मास्त्र गुवाहाटी
महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक और तगड़ा झटका लगा है। उद्धव सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री उदय सामंत भी अब बागी एकनाथ शिंदे कैंप में शामिल हो गए हैं। वह रविवार की रात गुवाहाटी पहुंच गए। इसी के साथ शिंदे के पास शिवसेना के 39 विधायकों का समर्थन हो गया है। उदय महाराष्ट्र के आठवें मंत्री हैं, जिन्होंने उद्धव के बजाय शिंदे के साथ जाने का फैसला किया है। हैरानी की बात ये है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से ज्यादा मंत्री अब एकनाथ शिंदे के कैंप में हैं। उद्धव के पास महज 3 मंत्रियों का समर्थन ही बचा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उदय सामंत से रविवार सुबह से ही शिवसेना का संपर्क नहीं हो पा रहा था। उदय रविवार की शाम चार्टर्ड प्लेन के जरिए मुंबई से गुवाहाटी पहुंचे। उनके साथ तीन अन्य लोग भी थे, जिनमें उनका पर्सनल सेक्रेटरी और ठाणे का एक शिवसेना कार्यकर्ता शामिल था। उदय सामंत को ठाकरे परिवार के निवास मातोश्री का करीबी माना जाता है।
यही वजह मानी जाती है कि शिवसेना में नया होने के बावजूद उन्हें उच्च शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया गया था। अब उनका एकनाथ शिंदे के साथ जाना उद्धव के लिए बड़ा झटका है।
उदय सामंत महाराष्ट्र कैबिनेट के आठवें मंत्री हैं, जिसने उद्धव ठाकरे का साथ छोड?े का फैसला किया है। उद्धव के पास उनकी अपनी पार्टी शिवसेना से अब एक ही मंत्री बचा है और वो हैं उनके बेटे आदित्य ठाकरे। आदित्य पर्यावरण एवं प्रोटोकॉल मंत्री हैं। इसके अलावा दो अन्य मंत्रियों में परिवहन मंत्री अनिल परब और उद्योग मंत्री सुभाष देसाई उद्धव के साथ हैं। परब और देसाई दोनों ही विधान परिषद के सदस्य हैं। निर्दलीय शंकरराव गडक भी शिवसेना के कोटे से मंत्री हैं और जल संरक्षण विभाग संभाल रहे हैं। वन मंत्री संजय राठौर के इस्तीफे के कारण एक पद खाली है।

उल्लेखनीय है कि अब तक 5 कैबिनेट मंत्री और 2 राज्यमंत्री शिंदे कैंप में शरण ले चुके हैं। कैबिनेट मंत्रियों में शिंदे, सामंत के अलावा गुलाबराव पाटिल, संदीपन भूमरे, दादाजी भूसे शामिल हैं। राज्यमंत्रियों में अब्दुल सत्तार और शंभुराज देसाई हैं। निर्दलीय राजेंद्र पाटिल यादरावकर और ओमप्रकाश कादू, जिन्हें शिवसेना कोटे से मंत्री बनाया गया था, वह भी शिंदे गुट के साथ आ चुके हैं।

शिंदे गुट की दो याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा एससी
महाराष्ट्र में सियासी घमासान लगातार जारी है, आरोप-प्रत्यारोप और विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के नोटिस के बाद अब शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे और उनके विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की हैं। इन पर आज सुनवाई होने की संभावना है। जानकारी के अनुसार इन याचिकाओं में मुख्य तौर पर एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र विधानसभा में विधायक दल के नेता पद से हटाकर अजय चौधरी की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। साथ ही, विधानसभा के डिप्टी स्पीकर की ओर से 16 बागी विधायकों को जारी किए गए अयोग्यता नोटिस का मामला भी शामिल है।
इसके साथ ही विधायकों के परिवारों की सुरक्षा की भी मांग की गई है। ये मामला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की वैकेशन बेंच के सामने लिस्ट किया गया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका खुद एकनाथ शिंदे ने दायर की है, वहीं दूसरी याचिका विधायक भगत गोगावले की अगुआई में 15 विधायकों की ओर से दाखिल की गई है। इसमें शिंदे गुट की ओर से पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे पेश होंगे, वहीं डिप्टी स्पीकर का पक्ष पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल रखेंगे। शिवसेना की और से कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में दलीलें पेश करेंगे।

एकनाथ गुट ने दोनों याचिकाओं में मुख्य रूप से मांग की है कि महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने एकनाथ शिंदे और 15 अन्य विधायकों को अयोग्यता का जो नोटिस जारी किया है, उस पर रोक लगाई जाए। डिप्टी स्पीकर को हटाए जाने के आवेदन पर फैसला होने तक उन्हें निर्देश दिया जाए कि वह 16 विधायकों के अयोग्यता के नोटिस पर कोई कार्यवाही न करें। बागी गुट ने डिप्टी स्पीकर को हटाने की मांग की है।

वहीं डिप्टी स्पीकर के उस फैसले को खारिज किया जाए, जिसमें उन्होंने एकनाथ शिंदे को हटाकर अजय चौधरी को विधानसभा में विधायक दल के नेता को तौर पर मान्यता दी है। केंद्र सरकार और महाराष्ट्र के डीजीपी को निर्देश दिया जाए कि वह बागी विधायकों के परिवारों को सुरक्षा प्रदान करें।

इसके अलावा अयोग्यता नोटिस के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया है कि डिप्टी स्पीकर की ओर से जारी अयोग्यता नोटिस पर एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों को 27 जून सोमवार को पेश होने के लिए कहा गया है। इसे भी चुनौती देते हुए कहा गया है कि अयोग्यता याचिका विचार करने योग्य नहीं है क्योंकि शिंदे गुट के समथज्न में शिवसेना के ज्यादातर विधायक हैं और बहुमत उनके पास है। इसके अलावा उन विधायकों ने अपनी सदस्यता छोड़ी नहीं है।