April 25, 2024

ब्रह्मास्त्र जबलपुर। मध्यप्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है। आलम ये है कि मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के चार बिजली घरों में से तीन में कोयले का संकट खड़ा हो गया है। यहां प्रतिदिन 80 हजार टन कोयले की जरूरत है, लेकिन उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है। रेलवे से एक दिन भी सप्लाई बाधित होगी, तो प्रदेश में अंधेरा छा जाएगा। मौजूदा समय में बिजली की डिमांड 12 हजार मेगावाट से ऊपर बनी हुई है। सप्लाई 11 हजार मेगावाट ही कर पा रहे हैं। बिजली कटौती कर इस गेप को कवर किया जा रहा है।
बिजली के टैरिफ निर्धारण में उपभोक्ताओं से 30 दिन के कोयला स्टॉक का पैसा लिया जाता है। मतलब, बिजली घरों में उनकी क्षमता के अनुरूप 30 दिन का कोयला रखेंगे।

एक से डेढ़ हजार मेगावाट की भरपाई के लिए कटौती

प्रदेश में बिजली की मांग और सप्लाई में एक से डेढ़ हजार मेगावाट का गैप आ रहा है। इसकी भरपाई कई शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में 8 से 10 घंटे की अघोषित कटौती करके की जा रही है। कृषि फीडर में एक तरह से बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई है। ग्रामीणों को भी पीक अवर्स में दोपहर और शाम को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।