April 24, 2024

ब्रह्मास्त्र उज्जैन। इंदौर से आने वाले गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए आनन-फानन में स्टाप डेम निर्माण का प्रस्ताव तैयार हो गया है। कहा तो यह जा रहा है कि यदि एजेंसी अच्छी मिल गई तो 4 से 6 माह के बीच स्टॉप डेम ( बैराज ) तैयार भी हो जाएगा। धरना और अल्टीमेटम दे चुके संतों को दिखाने के लिए कागजी घोड़े तेजी से दौड़ने लगे हैं। संभावना है कि आज यह प्रस्ताव कलेक्टर के पास पहुंचेगा और एजेंसी तय होगी।
गौरतलब है कि शनिश्चरी अमावस्या पर इंदौर के गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए त्रिवेणी पर बनाया गया कच्चा बांध ढह गया था। इससे नर्मदा से स्नान के लिए मंगवाया 2 एमसीएम पानी दूषित हो गया। श्रद्धालुओं को मजबूरन दूषित पानी में ही स्नान करना पड़ा था।
इससे नाराज संतों ने शिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त करने की ठोस और लिखित योजना की मांग को लेकर धरना भी दिया। जो कि हाल ही में प्रशासन के आश्वासन पर सशर्त समाप्त हुआ है।

आधा मीटर बढ़ाई ऊंचाई

जल संसाधन विभाग के अधिकारी ने बताया कि गोठड़ा स्टापडेम के नाम से उक्त प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस स्टापडेम की लागत 4 करोड़ 75 लाख रुपए है। यह 62 मीटर लंबा और साढ़े पांच मीटर ऊंचा रहेगा। शुरुआत में प्रस्ताव में स्टापडेम की ऊंचाई पांच मीटर रखी गई थी लेकिन इंदौर की तरफ से आने वाले दूषित पानी का आकलन करने के बाद बुधवार को इसमें संशोधन किया गया। स्टापडेम की ऊंचाई बढ़ाकर साढ़े पांच मीटर कर दी गई। करीब दो साल पहले से जल संसाधन विभाग द्वारा इस तरह का एक प्रस्ताव शासन को स्वीकृति के लिए भेजा गया था लेकिन वह वहां पेंडिंग ही है।
शिप्रा शुद्धिकरण का मुद्दा टाल गए मंत्री सिलावट

जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट महाकाल दर्शन के लिए आए थे। जब उनसे शिप्रा शुद्धिकरण के मामले में मीडिया ने सवाल किए तो वह उसे टाल गए। उनका कहना था कि अब मेरे संज्ञान में यह मामला आया है। अन्य लोगों के साथ मिलकर योजना बनाएंगे। जब उन्हें संतों के 15 दिन के अल्टीमेटम के बारे में बताया गया तो वे उस सवाल का भी कोई जवाब दिए बिना चल दिए। गौरतलब है कि संतों के धरने के समय भी यह बात चल रही थी कि इंदौर से खान नदी का गंदा पानी शिप्रा में आकर मिल रहा है। उसे रोकने के लिए जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से बातचीत चल रही है, पर सिलावट कह रहे हैं कि उनके संज्ञान में अब मामला आया है।