April 19, 2024

दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति के कर कमलों से मिला नंबर वन का खिताब

12 करोड़ का सफाई मित्र पुरस्कार ,इसके बाद सूरत और विजयवाड़ा का नंबर

ब्रह्मास्त्र इंदौर/ नई दिल्ली। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने पांचवी बार यह उपलब्धि हासिल कर ली है। आज शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिल्ली के विज्ञान भवन में इंदौर को नंबर वन शहर,12 करोड़ का सफाई मित्र और 5 स्टार रेटिंग अवाॅर्ड दिया।
शुक्रवार को रिहर्सल में सबसे पहले इंदौर फिर सूरत और विजयवाड़ा को रखा गया। इंदौर की सफाई मित्र इंदिराबाई आदिवाल का भी सम्मान हुआ। संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा, कलेक्टर मनीष सिंह, निगमायुक्त प्रतिभा पाल, अपर आयुक्त संदीप सोनी, एसई महेश शर्मा, सांसद शंकर लालवानी भी मौजूद हैं।
पहली बार गाड़ियां खरीदने और ट्रांसफर स्टेशन बनाने के कारण कचरा प्रबंधन पर 160 करोड़ खर्च करना पड़े थे। अब यह खर्च सालाना 50 करोड़ पर आ गया है। पिछले साल 90 प्रतिशत कचरा प्रबंधन शुल्क वसूला, जो 45 करोड़ था। गीले कचरे की गुणवत्ता 95 प्रतिशत है। ऐसा जर्मनी में भी नहीं है।
इंदौर कचरे से अभी 20 करोड़ रुपए सालाना कमा रहा है। इसमें कार्बन क्रेडिट, सीएनजी, कम्पोस्ट खाद, सीएनडी वेस्ट व सूखे कचरे से हो रही आमदनी शामिल है। विशेषज्ञ का मानना है कि जिस तेजी के साथ इंदौर कचरा प्रबंधन पर काम कर रहा है, आने वाले तीन साल में ही कचरे से हमारी कमाई 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी।

इंदौर पूरे देश में नंबर वन क्यों…

-45 करोड़ रुपए कचरा प्रबंधन के लिए जनता की जेब से
-137 किमी नदी-नालों की सफाई पर 343 करोड़ खर्च
-1200 टन कचरे का रोज निपटान कर रहा है इंदौर
-11364 सफाई मित्रों के हवाले है शहर की व्यवस्था

राष्ट्रपति भवन में इंदौर की इंदिरा

इंदौर नगर पालिक निगम की कर्तव्यनिष्ठ महिला सफ़ाईकर्मी इंदिरा राष्ट्रपति भवन में आयोजित स्वच्छ भारत मिशन के अवार्ड समारोह में मौजूद है। सफ़ाईकर्मी इंदिरा नगर निगम की सबसे मेहनती सफ़ाईकर्मियों में से एक है। इंदिरा रामबाग और नारायणबाग में सालों से बिना अवकाश लिए सफ़ाई का ज़िम्मा संभाल रही है। सफ़ाई के साथ ही वह प्रतिदिन सुबह 4 बजे से घरों के बाहर रंगोली भी बनाती है। इंदौर की इंदिरा की इसी लगनशीलता को देखते हुए आयुक्त प्रतिभा पाल उन्हें अपनी टीम के साथ दिल्ली लेकर गई।
इस बार नदी की स्वच्छता ने दिलाई जीत

इंदौर ने 21.3 किमी लंबी कान्ह व 12.4 किमी की सरस्वती नदी व 6 प्रमुख नालों सहित 137.28 किमी में बहने वाले सीवरेज को प्रोसेस कर नदी को पुनर्जीवित कर दिया। इस पर 343.2 करोड़ खर्च हुए। नालों में अब गंदगी नहीं बहती। शुक्रवार को 41 साल बाद सरस्वती के तट पर लोग कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करते नजर आए।