April 25, 2024

 वर्ष में एक बार वैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर ही बनता है यह संयोग जब महाकाल रात में निकलते हैं

ब्रह्मास्त्र उज्जैन।  आज बुधवार की रात 11 बजे भगवान महाकाल की सवारी निकलेगी। यह सवारी हरिहर मिलन की होगी। वर्ष में एक बार ही वैकुंठ चतुर्दशी पर महाकाल की सवारी रात में निकलती है।

इस सवारी में हर यानी शिव हरि यानी विष्णु से मिलने जाते हैं। इस अनोखी सवारी का श्रद्धालुओं को भी वर्षभर इंतजार रहता है। महाकाल की यूं तो वर्ष में कई सवारियां निकलती है। लेकिन ये सवारियां मंदिर से शाम 4 बजे शुरू होती है। केवल एक ही सवारी हरिहर मिलन की ऐसी है जो रात 11 बजे शयन आरती के बाद निकलना शुरू होती है। और महाकाल मंदिर से चलकर गोपाल मंदिर जाती है जहॉ श्री महाकाल हर के रूप में श्री द्वारकाधीश हरि से मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि देव उठनी ग्यारस से देवता जागते हैं तथा भगवान शिव पृथ्वी का भार विष्णु को सौपने जाते हैं। इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु पृथ्वी लोक का संचालन करते हैं तथा भगवान शिव कैलाश पर तपस्या के लिए चले जाते हैं। चातुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में रहकर विश्राम करते हैं तब तक सृष्टि का भार भगवान शिव के पास ही रहता है।

इस मार्ग से होकर निकलेगी हरिहर मिलन की ये सवारी

रात 11 बजे महाकाल की सवारी मंदिर से शुरू होकर महाकाल चौराहा, गुदरी बाजार, पटनी बाजार होते हुए सिंधिया स्टेट के द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचेगी जहॉ भगवान श्री महाकालेश्‍वर एवं श्री द्वारकाधीश का पूजन होगा। सवारी में पालकी, पुलिस का बैंड, घुड़सवार दल व पुजारी आदि शामिल रहेंगे। 

महाकाल को तुलसी व विष्णु को बिल्वपत्र की माला अर्पित

महाकाल मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया सवारी गोपाल मंदिर पहुंचेगी। इसके बाद हरिहर मिलन होगा व महाकाल के पुजारीगण द्वारकाधीश को बिल्वपत्र एवं गोपाल मंदिर के पुजारीगण महाकाल को तुलसी की माला अर्पित करेंगे। इसी प्रकार दोनों की प्रिय वस्तुओं का एक-दूसरे को भोग लगाया जाएगा। अभिषेक-पूजन के पश्चात आरती की जाएगी व सवारी पुन: मध्य रात को ही महाकाल मंदिर के लिए रवाना होगी । इस दुर्लभ दृश्‍य को देखने के लिए हजारों लोग उमड़ते हैं।