April 23, 2024

नरेंद्र गिरी ने कहा था – जिस क्षेत्र में सिंहस्थ लगता है वह आवासीय नहीं होना चाहिए…उज्जैन मास्टर प्लान 2035 पर रोक लगाने की भी की थी मांग

उज्जैन। साधु-संतों के 13 प्रमुख अखाड़ों की संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के निधन से उज्जैन का धार्मिक और आध्यात्मिक जगत बेहद शोक में है। सिंहस्थ 2016 उन्हीं के नेतृत्व में संपन्न हुआ था। कुछ समय पहले ही सिंहस्थ भूमि पर अतिक्रमण को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सरकार व प्रशासन से उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए इच्छा जताई थी। सिंहस्थ को लेकर यह उनकी अंतिम इच्छा मानी जानी चाहिए। महंत नरेंद्र गिरि ने कहा था कि जिस क्षेत्र में सिंहस्थ लगता है, वह आवासीय नहीं होना चाहिए। वहां किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। यदि शासन ने प्रशासन को ऐसे क्षेत्र को संरक्षित रखने के लिए पत्र लिखा है तो प्रशासन की जवाबदारी बनती है कि उस पर अमल करें। आगामी सिहस्थ मेला 2028 के मान से सिंहस्थ मेला क्षेत्र को बढ़ाए जाने की मांग को लेकर प्रस्तावित उज्जैन मास्टर प्लान 2035 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा सुझाव के साथ आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं। महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने इंदौर रोड शांति पैलेस चौराहा से उन्हेल रोड तक सांवराखेड़ी, जीवनखेड़ी को सिहंस्थ क्षेत्र घोषित करते हुए शिप्रा नदी के दोनों ओर 200 मीटर तक ग्रीन बेल्ट आरक्षित करने और प्रस्तावित उज्जैन मास्टर प्लान 2035 पर रोक लगाने की मांग की थी।
सिंहस्थ के प्रति वे अत्यधिक गंभीर थे।
सिंहस्थ 2016 के आयोजन को लेकर उन्होंने सरकार से साफ-साफ कह दिया था कि सिंहस्थ मेला शुरू होने के दो माह पहले सारे काम 100 प्रतिशत पूरे हो जाना चाहिए। यदि काम में कमी नजर आई तो साधु-संत अपनी शक्ति दिखाएंगे।
महंत नरेंद्र गिरि का पोस्टमार्टम, दोपहर में भू समाधि

प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की सोमवार को संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई थी। आज सुबह उनका पोस्टमार्टम किया गया। इसके बाद दोपहर में उन्हें भूमि समाधि दी जाएगी। उन्हें बाघंबरी मठ के बगीचे में समाधि दी जाएगी। उधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। दरअसल, महंत नरेंद्र गिरि का शव प्रयागराज के उनके बाघंबरी मठ में ही फांसी के फंदे से लटकता मिला था। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला. इसमें उन्होंने आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को उनकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। अपने सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा, मैं नरेंद्र गिरि 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। आज जब हरिद्वार से सूचना मिली है कि एक दो दिन में आनंद गिरि कम्प्यूटर के माध्यम से किसी महिला और लड़की के साथ गलत काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा। सोचा था सफाई दूं पर बदनामी का डर था। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, तो बदनामी से मैं कैसे जिऊंगा. आनंद गिरि का कहना है कि कहां तक सफाई देता रहूंगा। इससे दुखी होकर मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। मेरी मौत की जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी की होगी।