March 28, 2024
योगेंद्र जोशी
  ब्रह्मास्त्र इंदौर। पिछड़े वर्ग के वोट हासिल करने के लिए कानून में गलियां निकालते हुए अंततः मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक तीर से कई शिकार कर लिए हैं। हाईकोर्ट ने जिन भर्ती और परीक्षा पर रोक लगाई है , उसे छोड़कर ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
गौरतलब है कि अन्य पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने फिलहाल रोक बरकरार रखी है। कांग्रेस ने हाई कोर्ट व्दारा आरक्षण फैसले के आधार पर जो शिवराज सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणी की थी उसका भी तोड़ निकाल लिया, लेकिन लोगों का मानना है कि कानून के हिसाब से भले ही गलियां निकाल ली हो लेकिन यह फैसला हाईकोर्ट की मूल भावना के तो विपरीत ही है। सवाल किसी भर्ती परीक्षा का नहीं बल्कि कानूनन 27 प्रतिशत आरक्षण देना सही है या नहीं, यह महत्वपूर्ण है। खैर, अपने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोई माई का लाल आरक्षण नहीं रोक सकता…जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद चुनाव में उनकी सरकार चली गई थी। अब जैसे-तैसे जुगाड़ लगाकर उन्होंने सरकार बनाई है, तो शायद एक बार फिर उनके मन में यही भाव होगा कि कोई माई का लाल…
फिलहाल प्रदेश में चुनावी माहौल बनना शुरू हो गया है। खंडवा लोकसभा सीट नहीं तो प्रदेश की तीन अन्य विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। नगरीय निकाय के चुनाव भी इसके बाद कराए जा सकते हैं। पंचायत के चुनाव भी होना शेष है। इतना करते-करते आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव सामने आ जाएंगे। शिवराज ने दूर की कौड़ी को अभी से ही अपने खाते में डाल लिया है। बशर्ते इस प्रदेश की जनता शिवराज के इस फैसले को कितना वजन देती है, यह तो भविष्य ही बताएगा।
गौरतलब है कि शिवराज सरकार ने सरकारी भर्तियों और परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा गुरुवार देर शाम इस संबंध में आदेश जारी कर दिए। आदेश में कहा गया है कि यह फैसला 2019 से लागू होगा। जिन परीक्षाओं और भर्ती पर हाईकोर्ट ने लगाई है, उन पर यह आदेश लागू नहीं होगा।
सामान्य प्रशासन विभाग की उप सचिव दिशा प्रणय नागवंशी द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि मप्र लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग को लोक सेवाओं एवं पदों में सीधी भर्ती के प्रक्रम में आरक्षण का प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 किया गया है, जो कि 8 मार्च 2019 से प्रभावशील है।
इस संशोधन अधिनियम, 2019 में प्रावधानित अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किये जाने को चुनौती देकर उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिकाएं दायर की गई हैं।
उच्च न्यायालय में पिछड़ा वर्ग के उक्त आरक्षण के संबंध में प्रचलित प्रकरणों में महाधिवक्ता द्वारा 25 अगस्त 2021 को विधिक अभिमत दिया गया है, जिसकी प्रति संलग्न है। उनके द्वारा इस विधिक अभिमत की कंडिका-5 में उल्लेखित प्रकरणों को छोड़कर शेष समस्त परीक्षाओं/भर्तियों में पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही करने का स्पष्ट अभिमत दिया है। समस्त विभागों से अपेक्षा है कि वह महाधिवक्ता के उक्त विधिक अभिमत के अनुरूप परीक्षाओं/भर्तियों की कार्यवाही करने का कष्ट करें।
प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्री भूपेंद्र सिंह के अनुसार सरकार के महाधिवक्ता ने राय दी थी कि शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018, पीएससी से स्वास्थ्य विभाग की भर्तियां और पीजी मेडिकल परीक्षा पर फिलहाल हाई कोर्ट का स्टे है। इसलिए इन्हें छोड़कर सभी परीक्षाओं में आरक्षण का यह फैसला लागू किया जा रहा है। उन्होंने इस मामले में कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण को लेकर सिर्फ राजनीति की है। कांग्रेस केवल पिछड़े वर्ग को गुमराह कर राजनीतिक फायदा लेना चाहती है।