April 19, 2024

इंदौर। जीआरपी इंदौर ने सिर्फ पांच रुपये के सिक्के का इस्तेमाल कर अब तक कम से कम 7 ट्रेन लूट ली थी। ट्रेन लुटेरे गिरोह के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये गिरोह सिग्नल तकनीक को झांसा देकर ट्रेन लूट की वारदात को अंजाम देता था। इनके निशाने पर लंबी दूरी की ट्रेन रहती थी। रात के समय सिग्नल से छेड़छड कर ट्रेन को रोक देते थे और फिर सिग्नल ग्रीन होने से पहले लूटपाट कर भाग जाते थे। अलग-अलग राज्यों में कई वारदातों को अंजाम दे चुका यह गिरोह एक जगह लूट करने के बाद गिरोह दूसरे राज्य में भाग जाता था।
जीआरपी एएसपी राकेश खाका के अनुसार आरोपी सिर्फ लंबी दूरी और दक्षिण भारत की ओर चलने वाली ट्रेनों को ही निशाना बनाते थे। हर रेलवे क्रॉसिंग पर बने रेल के पटरी के बीच बैरिकेड्स बना होता है। यहां लोहे की रॉड या पांच रूपये का सिक्का डालने से सिग्नल रेड हो जाता है। हाईवे के समीप जहां रेलवे क्रॉसिंग पर गार्ड या कर्मचारी नहीं होता, वहां ये बदमाश वहां ट्रेन आने से पहले पहुंच जाते थे। इसके बाद सिग्नल रेड कर गाड़ी में चढ़ जाते थे। जब तक सिग्नल ग्रीन होता, उससे पहले वारदात कर भाग जाते थे।
26 जून को इंदौर जीआरपी थाना पुलिस को कुछ यात्रियों ने शिकायत की थी कि सुबह के वक़्त चाकू की नोंक पर कुछ बदमाशों ने उनके साथ ट्रेन में चढ़कर लूटपाट की। जिस वक़्त बदमाश ट्रेन में सवार हुए थे उससे थोड़ी देर पहले ट्रेन रुकी थी। बदमाश लूटपाट कर ट्रेन चलने से पहले फरार हो गए। शिकायत पर जीआरपी इंदौर ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। यह वारदात मक्सी के करीब हुई थी। जीआरपी ने तकनीकी जांच की तो पता चला कि ये गिरोह तो सिग्लन से छेड़छाड़ कर ट्रेन रोकता है और फिर वारदात करके फरार हो जाता है। पुलिस ने संदेहियों की शिनाख्त की ली और उनकी घेराबंदी शुरू कर दी।
रेलवे आउटर पर लगातार हो रही वारदातों के बाद जीआरपी को कुछ चार पहिया गाड़ी होने के सबूत मिले। कई टोल नाकों के सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद गाड़ी का नंबर मिला। फास्टैग स्टीकर लगे होने के कारण गाड़ी टोल नाके से तेजी से निकल गई, जिसके कारण उसमें बैठे शख्स का चेहरा किसी ने नहीं देखा।
वारदात स्थल के आसपास जिस कार की संभावना थी, वह उसी दिन राजस्थान, गुजरात, औरंगाबाद वाली घटनाओं के दिन भी प्रदेश के अंदर अलग-अलग टोल नाकों से गुजरी थी। शक गहराने पर फास्टैग के माध्यम से रेलवे पुलिस ने उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर ट्रैक किया, जिस नंबर पर फास्टैग रजिस्टर्ड था। इसके बाद ये ग्रोह पुलिस के हाथ लग गया। अन्य साथी, सोनी वाल्मीकि, राहुल वाल्मीकि और छोटू ट्रेनों में चढ़ कर वारदात को अंजाम देते थे। सभी को टोहाना हरियाणा से गिरफ्तार कर लाया गया है।
एक महीने में बदमाशों ने 7 ट्रेन में लूट की वारदातों को अंजाम दिया। इनमें 18 जून को बीकानेर-दादर रणपुर एक्सप्रेस में आबू के पास, 19 जून को अवंतिका एक्स. व अजमेर-मैसूर एक्स. में भरुच (गुजरात) के पास, 20 जून को बांद्रा-भुज एक्स. में वापी (गुजरात) के पास, 25 जून को पोरबंदर-हावड़ा एक्स. नंदुरबार (महाराष्ट्र) के पास, 26 जून को मध्य प्रदेश के मक्सी के पास जयपुर-हैदराबाद एक्सप्रेस तथा 27 जून को जयपुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस में कोटा के पास लूट की वारदातें शामिल हैं। सिक्के से ट्रेन रोकने की वारदात ने रेलवे को ही सोचने पर मजबूर कर दिया है।